Somnath Jyotirlinga : भारत की धार्मिक यात्राओं में सोमनाथ मंदिर को बहुत ही विशेष स्थान प्राप्त है। इसे 12 ज्योतिर्लिंगों में प्रथम माना जाता है, सोमनाथ मंदिर के दर्शन से ही ज्योतिर्लिंगों की तीर्थयात्रा की शुरुआत होती है। गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र में स्थित, यह मंदिर न केवल अपनी धार्मिक महत्ता के लिए विश्व प्रसिद्ध है, बल्कि इसका इतिहास भी गौरवशाली और संघर्षपूर्ण रहा है।
सोमनाथ मंदिर का इतिहास हिंदू आस्था की अदम्य शक्ति को दर्शाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर को 16 बार ध्वस्त किया गया और हर बार इसे पुनर्निर्मित किया गया। प्राचीन काल से ही यह स्थान विदेशी आक्रमणकारियों के निशाने पर रहा है। मोहम्मद गजनवी से लेकर औरंगजेब तक कई मुगल शासकों ने इस मंदिर को नष्ट करने की भरसक कोशिश की किन्तु हर बार भक्तों ने इसे फिर से बना डाला।
हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, सोमनाथ ज्योतिर्लिंग का संबंध चंद्रमा (सोम) से है। पौराणिक कथाओं में वर्णित है कि चंद्रदेव ने भगवान शिव की आराधना करके यहां अपना क्षय रोग दूर किया था। इसी वजह से इस स्थान को सोमनाथ के नाम से जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही भक्तों को उनके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। जो उनको मोक्ष प्राप्ति के मार्ग पर ले जाती है।
वर्तमान सोमनाथ मंदिर का निर्माण भारत की स्वतंत्रता के बाद किया गया। इसे चालुक्य शैली में बनाया गया है, जिसका शिखर अत्यंत भव्य और ऊंचा है। मंदिर के अंदर मुख्य ज्योतिर्लिंग स्थापित है, जिसके समक्ष प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आकर माथा टेकते हैं। समुद्र तट के नजदीक होने के कारण यहां का प्राकृतिक सौंदर्य भी अन्यन्त मनमोहक दिखाई देता है।
Somnath Jyotirlinga : सोमनाथ मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक धरोहर और अटूट आस्था का प्रतीक भी है। इसका इतिहास, पौराणिक महत्त्व और सुंदर स्थापत्य कला इसे भारत के सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थलों में से एक बनाते हैं। अगर आप भारत की आध्यात्मिक यात्रा पर निकल रहे हैं, तो सोमनाथ मंदिर अवश्य आपकी सूची में होना चाहिए।
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