नई दिल्लीः रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया यानी आरबीआई ने हाल ही में अपने रेपो रेट में 0.50 प्रतिशत की कटौती की है, इस कारण रेपो दर 6 फीसदी से घटकर 5.50 पर आ गयी है। यह एक साल के अंदर रेपो रेट में की गई तीसरी कटौती है। इससे पूर्व पहली बार में 0.25 और दूसरी बार में 0.25 प्रतिशत करके 0.50 प्रतिशत की कटौती की जा चुकी है। आरबीआई का यह कदम आर्थिक विकास को बढ़ावा देने और बैंकों से कर्ज लेने को सस्ता बनाने के मकसद से किया गया था, लेकिन रेपो रेप में कमी होने के बावजूद EMI पर कोई असर नहीं पड़ रहा है, तो चलिए हम आपको समझाने की कोशिश करते हैं कि रेपो दर में कमी का लाभ EMI भरने वालों को किस तरह मिलेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स में चार्टर्ड अकाउंटेंट नितिन कौशिक ने कहा कि रेपो दरों में कटौती के बावजूद, कई लोन लेने वालों की समान मासिक किस्तों (EMI) में तत्काल कमी नहीं देखी जा सकती है। जो लोग सोचते हैं कि रेपो रेट में कटौती होने से उनकी EMI अपने आप कम हो जाती है, वो सही नहीं हैं, क्योंकि ज्यादातर मामलों में ऐसा नहीं होता है। एक्सपर्ट ने कहा कि लोगों को EMI में किसी भी खास सुविधा का लाभ लेने के लिए जरूरी उपाय करने पड़ते हैं, वरना उन्हें अपने लोन अवधि के दौरान लाखों रुपये का नुकसान झेलना पड़ सकता है।
ऐसे में लोन धारकों को रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) या एक्सटर्नल बेंचमार्क लेंडिंग रेट (EBLR) से जुड़े लोन पर रेपो रेट कटौती के प्रभाव को समझना होगा। CA कौशिक ने कहा, “रेपो रेट में कटौती केवल उन लोन धारकों के लिए लाभदायक है, जिनके लोन रेपो दर से जुड़े हैं यानी रेपो लिंक्ड लेंडिंग रेट (RLLR) या (EBLR) के माध्यम से लोन लिया गया है। खास बात यह है कि तब भी, लाभ खुद नहीं मिलता है।
बैंकों द्वारा रेपो रेट का लाभ लोन धारकों तक पहुँचने में कुछ समय लगता है। इस कटौती की सूचना कई बार बैंक अपने ग्राहकों को नहीं देते हैं, जिससे उन्हें EMI में कमी का लाभ नहीं मिल पता है। हालाँकि लोन धारकों के पास इन लाभों का अनुरोध करने के लिए 90 दिनों की सीमित अवधि होती है, अगर इस अवधि में भी लोनधारक अनुरोध नहीं कर पाते हैं, तो वे लाभ लेने से चूक जाते हैं। इतना ही नहीं, उन्हें आने वाले वर्षों में ज्यादा EMI का भुगतान करना पड़ सकता है।
अगर आपकी ब्याज दर कम भी हो जाती है, तब भी आपको एक बार अपने बैंक को 'RBI परिपत्र 2019 (संशोधित 2024) के अंतर्गत ब्याज रीसेट अनुरोध' विषय पर एक ई-मेल भेजकर इस कमी की पुष्टि तो करनी चाहिए। इसके बाद अगर बैंक ऐसा करने से इनकार करता है, तो आप इसकी शिकायत RBI की शिकायत प्रबंधन प्रणाली से कर सकते हैं। CA नितिन कौशिक संभावित ब्याज दरों में कटौती के मद्देनजर कर्ज लेने वालों की सतर्कता के महत्व पर जोर देते हुए कहते हैं कि सिर्फ इसलिए ज्यादा EMI का भुगतान न करें, क्योंकि आपका बैंक आपको बताना भूल गया। इस मामले में जल्द से जल्द जरूरी कदम उठाकर उधारकर्ता रेपो दर में कटौती का अधिकतम लाभ उठाएं और अपने लोन की अवधि के दौरान बचत को बढ़ा सकें।
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