बिहार में मतदाता सूचियों की गहन जांच पर संग्राम, महागठबंधन करेगा चक्का जाम !

खबर सार :-
बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूचियों की गहन जांच को लेकर राजनीतिक भूचाल है। चुनाव आयोग की इस प्रक्रिया को विपक्ष वोट कटाने की साजिश बता रहा है। आरजेडी ने 9 जुलाई को चक्का जाम का ऐलान किया है, जिसमें ओवैसी का समर्थन भी मिल सकता है। सुप्रीम कोर्ट में भी याचिका दायर की गई है। सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई 10 जुलाई को होगी।

बिहार में मतदाता सूचियों की गहन जांच पर संग्राम, महागठबंधन करेगा चक्का जाम !
खबर विस्तार : -

Special Intensive Voter Roll Revision : बिहार में आज से कुछ महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, जिसको लेकर अभी से ही राजनीतिक माहौल गरम है। कभी वोट बैंक की राजनीति तो कभी समय का मुद्दा और अब राजनेता चुनाव आयोग के अभियान से राजनीतिक लाभ उठाने में लगे हैं। याद रहे कि करीब 2 हफ्ते पहले चुनाव आयोग ने घोषणा की थी कि वह चुनाव से पहले मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान चलाएगा, जिसके बाद बिहार में विपक्षी दलों ने एकजुट होकर चुनाव आयोग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था।

Special Intensive Voter Roll Revision : विपक्ष की लड़ाई कोर्ट से सड़क तक

किसी ने इसे चुनाव आयोग की मनमानी बताया तो किसी ने इसे NRC से भी ज्यादा खतरनाक बताया, लेकिन बयानबाजी से परे चुनाव आयोग का यह अभियान जारी है, जिसके तहत चुनाव आयोग घर-घर जाकर मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कर रहा है। अब विपक्षी दल इस अभियान के खिलाफ हैं और एकमत होकर चुनाव आयोग और बिहार सरकार को आड़े हाथों ले रहे हैं। बात सिर्फ बयानबाजी तक ही नहीं रुकी। इस अभियान के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दायर की गई है, लेकिन याचिका पर सुनवाई से पहले ही विपक्ष का यह विरोध अब सड़कों पर पहुंचता नजर आ रहा है।

Special Intensive Voter Roll Revision : 9 जुलाई को बिहार में विपक्ष का चक्का जाम

दरअसल, विपक्षी दलों ने मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान के विरोध में कल सड़क जाम करने की तैयारी कर ली है। RJD ने 9 जुलाई को बिहार में चक्का जाम करने का ऐलान किया है। इसमें राहुल गांधी भी शामिल होंगे। वहीं, कहा जा रहा है कि इस दौरान असदुद्दीन ओवैसी भी महागठबंधन के साथ नजर आएंगे। दरअसल, बिहार में महागठबंधन में शामिल होने के लिए AIMIM की ओर से कुछ दिन पहले लालू यादव को पत्र लिखा गया था। हालांकि, ओवैसी महागठबंधन में शामिल होंगे या नहीं, इस पर अभी भी असमंजस की स्थिति बनी हुई है, लेकिन इस बीच ओवैसी ने मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर महागठबंधन को समर्थन देने की बात भी मान ली है। दरअसल विपक्ष का कहना है कि इस प्रक्रिया के जरिए मतदान पर रोक लगाने की कोशिश की जा रही है। यह फैसला राजनीति से प्रेरित NRC लागू करने की कोशिश है।

Special Intensive Voter Roll Revision : मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर सियासी जंग और तेज होगी

तेजस्वी यादव का सवाल है कि क्या जिनके पास आधार कार्ड है, वे वोट नहीं देंगे? इतना ही नहीं, राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में उनकी पार्टी के नेतृत्व वाला विपक्षी महागठबंधन राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के विरोध में चक्का जाम करेगा और कहा कि 9 जुलाई को चक्का जाम किया जाएगा। ऐसे में जब कल 9 जुलाई है, तो सवाल बना हुआ है कि क्या कल बिहार में चक्का जाम होगा? क्योंकि बिहार ही नहीं बल्कि देशभर के 25 करोड़ से ज्यादा कर्मचारी सरकार की मजदूर विरोधी, किसान विरोधी और कॉरपोरेट समर्थक नीतियों के खिलाफ उतरने वाले हैं। इस देशव्यापी हड़ताल और भारत बंद का बड़ा असर हो सकता है, लेकिन इस बीच बिहार में मतदाता सूची पुनरीक्षण को लेकर सियासी जंग जारी है। तेजस्वी यादव ने कहा कि बिहार में वोटबंदी की गहरी साजिश चल रही है। दलित-पिछड़े-अतिपिछड़े और अल्पसंख्यकों के वोट काटने और फर्जी वोट जोड़ने का खेल शुरू हो गया है। मोदी-नीतीश चुनाव आयोग के माध्यम से संविधान और लोकतंत्र को कुचलने और आपके वोट के अधिकार को छीनने के संकल्प के साथ काम कर रहे हैं। ये लोग अब हार को सामने देखकर बौखला गए हैं। लोकतंत्र और संविधान का क्या फायदा जब मतदाताओं के वोट ही खत्म कर दिए जाएं?'

दूसरी ओर, VIP पार्टी के प्रमुख मुकेश सहनी ने पूछा है कि चुनाव आयोग बिहार में चुनाव कराना चाहता है या दंगा? ओवैसी का दावा है कि अगर किसी का नाम हटाया जाता है तो यह नागरिकता का मामला है। विपक्ष बार-बार यह मुद्दा उठा रहा है कि कौन से दस्तावेज वैध हैं। विपक्ष का कहना है कि यह 4 करोड़ लोगों के वोट काटे जाने का मामला है, जो M-Y यानी PDA के खिलाफ बड़ी साजिश है।

Special Intensive Voter Roll Revision : मतदाता सूची पुनरीक्षण में जरूरी दस्तावेज

खैर जिस चीज को लेकर इतना बवाल मचा हुआ है, उसको भी जानना जरूरी है। तो अब ये भी जान लेते हैं कि मतदाता सूची पुनरीक्षण में क्या-क्या जरूरी है। वोटर लिस्ट में नाम के लिए कोई 11 दस्तावेज जरूरी है:

  • सरकार से जारी पहचान पत्र
  • पेंशन भुगतान आदेश
  • 1 जुलाई 1987 से पहले जारी सर्टिफिकेट
  • जन्म प्रमाण पत्र
  • पासपोर्ट
  • बोर्ड का शैक्षणिक प्रमाण-पत्र
  • मूल निवास प्रमाण पत्र
  • जाति प्रमाण पत्र
  • वन अधिकार प्रमाण पत्र
  • फैमिली रजिस्टर
  • जमीन या घर का सरकारी प्रमाण पत्र

Special Intensive Voter Roll Revision : सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी निगाहें

आपको ये भी बता दें कि राजनीतिक दृष्टिकोण से कल ही नहीं बल्कि परसों भी बिहार में बड़ा दिन होने वाला है, क्योंकि 10 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट विपक्षी दलों और सामाजिक संगठनों की याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। इस मुद्दे पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल, अभिषेक मनु सिंघवी, गोपाल शंकरनारायणन और शादाब फरासत ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इन वकीलों ने दलील दी है कि विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Intensive Voter Roll Revision) के कारण लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची से हटने की आशंका है। इसमें सबसे ज्यादा महिलाएं और गरीब पृष्ठभूमि से आने वाले लोग प्रभावित होंगे। अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि बिहार चुनाव में मतदाता सूची पुनरीक्षण का ये मुद्दा राजनीतिक दलों को फायदा पहुंचाएगा या नुकसान।