Hari Hara Veera Mallu Movie Review: अभिनेता पवन कल्याण ( Pawan Kalyan) की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'हरि हर वीरा मल्लू' आखिरकार 24 जुलाई को सिनेमाघरों में रिलीज़ हो गई है। दर्शक इस ऐतिहासिक एक्शन ड्रामा का लंबे समय से इंतज़ार कर रहे थे। रिलीज़ के बाद, फिल्म को दर्शकों और समीक्षकों से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं। इस बीच, निर्माताओं ने इसके सीक्वल की भी घोषणा कर दी है। खास बात यह है कि फिल्म की दूसरी किस्त का शीर्षक भी सामने आ गया है, जिससे प्रशंसकों में उत्साह और बढ़ गया है। 'हरि हर वीरा मल्लू' के लिए दर्शकों का इंतज़ार अब इसके सीक्वल के साथ जारी रहेगा। फिल्म की दूसरी किस्त का नाम 'हरि हर वीरा मल्लू: पार्ट 2 - युद्धभूमि' रखा गया है, जो जल्द ही सिनेमाघरों में रिलीज़ होगी।
दरअसल 17वीं सदी के मुगल भारत के उथल-पुथल को केंद्र में रखकर बनाई गई यह फिल्म एक ऐतिहासिक-काल्पनिक कहानी है, जो सच्ची घटनाओं से प्रेरणा लेकर एक साहसी वीर की गाथा कहती है। निर्देशक कृष जगरलामुदी ने इस फिल्म में नायक, सांस्कृतिक संघर्ष, धर्म, राजनीति और मुगलों के अत्याचार जैसे विषयों को एक साथ पिरोने की कोशिश की है। हालांकि फिल्म की महत्वाकांक्षा सराहनीय है, लेकिन यह हमेशा अपने लक्ष्य को हासिल करने में सफल नहीं हो पाती।
साउथ के सुपर स्टार व डिप्टी सीएम पवन कल्याण ( Pawan Kalyan) की बहुप्रतीक्षित फिल्म 'हरि हर वीरा मल्लू' की कहानी छत्रपति शिवाजी महाराज की मृत्यु के चार साल बाद, 1684 में सेट की गई है, जब मुगल बादशाह औरंगजेब (बॉबी देओल) धार्मिक कट्टरता के जरिए अपने साम्राज्य का विस्तार करने की कोशिश कर रहा है। उसका सबसे बड़ा हथियार 'जजिया कर' है - हिंदू नागरिकों पर केवल उनके धर्म के आधार पर लगाया जाने वाला कर। इसी पृष्ठभूमि में उभरता है वीरा मल्लू (पवन कल्याण), एक काल्पनिक डाकू जो धीरे-धीरे एक शाश्वत योद्धा में बदल जाता है। जिसका मिशन मुगलों से कोहिनूर हीरा चुराना है। जो भारत की सांस्कृतिक लूट और स्वाभिमान का प्रतीक है। पूरी कहानी इसी के इर्द-गिर्द बुनी गई है। हालांलिक क्लाइमेक्स किस दिशा में जाता है, यह जानने के लिए आपको पूरी फिल्म देखनी पड़ेगी।
कृष जगरलामुदी और एएम ज्योति कृष्णा के के निर्देशन में बनी यह फिल्म उम्मीदों का आसमान छूती है। खासकर पवन कल्याण का अंदाज और उनका सिनेमाई कद फिल्म को मजबूती देता है। इंटरवल से पहले वीरा मल्लू को एक जबरदस्त वीर योद्धा के रुप में पेश किया गया। जो रॉबिन हुड और बाहुबली की याद दिलाता है। एक ऐसा आदमी जो अपने आप में एक पूरी सेना है। वो जंगली जानवरों से भी बात कर सकता है।
दर्शक पवन कल्याण की फिल्म को खूब पसंद कर रहे हैं, लेकिन कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर इसका रिव्यू भी शेयर किया है। एक पीरियड ड्रामा होने के कारण, दर्शकों को फिल्म से दमदार एक्शन, ऐतिहासिक सटीकता और एक भावनात्मक कहानी की ज़्यादा उम्मीद थी। हालांकि, फिल्म इन उम्मीदों पर ज्यादा खरी नहीं उतरी है। कई दर्शकों ने कहानी को कमज़ोर बताया है। तो कुछ ने कहा कि कहानी दर्शकों को बांधे रखने में नाकाम रही। जबकि कुछ लोगों को ग्राफिक्स और विजुअल इफेक्ट्स भी पसंद नहीं आए।
कुल मिलाकर, 'हरि हर वीरा मल्लू- भाग 1 - तलवार बनाम आत्मा' पवन कल्याण के करिश्मे और एमएम कीरवानी के संगीत का प्रमाण है। फिल्म में कहानी कहने की कला, दृश्यों में निखार और किरदारों में भावनात्मक गहराई का अभाव है। यह सुपरस्टार अभिनेता की एक महत्वाकांक्षी फिल्म है, जो कुछ जगहों पर अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचती है, लेकिन अगले ही पल बिखर जाती है।
'हरि हर वीरा मल्लू' पवन कल्याण और बॉबी देओल के दमदार किरदारों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई नामी सितारे भी अहम भूमिकाओं में नज़र आ रहे हैं। इस फिल्म में निधि अग्रवाल, नोरा फतेही, नरगिस फाखरी, सत्यराज, विक्रमजीत विर्क, अयप्पा पी. शर्मा, जीशु सेनगुप्ता, अनसूया भारद्वाज, सचिन खेडेकर और कबीर बेदी जैसे कलाकारों ने भी दमदार अभिनय किया है। लगभग 250 करोड़ रुपये के बजट में बनी इस पीरियड ड्रामा फिल्म का निर्देशन कृष जगरलामुदी और ए.एम. ज्योति कृष्णा ने संयुक्त रूप से किया है। विशाल स्टार कास्ट और भव्य प्रस्तुति के साथ, यह फिल्म दर्शकों को एक ऐतिहासिक और रोमांचक यात्रा पर ले जाती है।
'हरि हर वीरा मल्लू' पूरी तरह से पवन कल्याण के प्रशंसकों के लिए है। यह उन लोगों को भी पसंद आ सकती है जो बड़े पर्दे पर एक्शन और पौराणिक कहानियों वाली भव्य ऐतिहासिक फिल्में देखना पसंद करते हैं। इसके अलावा औरंगज़ेब के क्रूर शासन और जजिया कर से जुड़े दृश्य को भी दिखाया गया है। सनातन धर्म और आध्यात्मिक प्रतिरोध पर फिल्म का ज़ोर इसे अन्य ऐतिहासिक एक्शन फिल्मों से अलग बनाता है। फिल्म की तकनीकी भव्यता सराहनीय है।