Check Bounce Case: राजपाल यादव को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जानें क्या पूरा मामला

खबर सार :-
Check Bounce Case: चेक बाउंस मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बॉलीवुड अभिनेता राजपाल यादव को बड़ी राहत देते हुए उन्हें विदेश जाने की अनुमति दी है। अभिनेता के खिलाफ यह मामला परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 की धारा 138 के तहत दर्ज है।

Check Bounce Case: राजपाल यादव को दिल्ली हाईकोर्ट से बड़ी राहत, जानें क्या पूरा मामला
खबर विस्तार : -

Check Bounce Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने चेक बाउंस मामले में बॉलीवुड अभिनेता राजपाल यादव (Rajpal Yadav) को मेलबर्न जाने की सशर्त इजाजत दे दी है। अभिनेता 27 जून से 5 जुलाई 2025 तक अपनी आगामी फिल्म 'मेरा काले रंग दा यार' के प्रचार कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह इजाजत कुछ शर्तों के अधीन होगी, जिसमें कोर्ट रजिस्ट्री में 1 लाख रुपये की सावधि जमा रसीद (FDR) जमा करना शामिल है।

Check Bounce Case: पिछले साल सुनाई गई थी सजा

साथ ही, अपना मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी भी देना होगा, जो विदेश यात्रा के दौरान हर समय सक्रिय रहना चाहिए। इसके अलावा, हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि ट्रायल कोर्ट में जमा उनका पासपोर्ट उन्हें विदेश यात्रा के लिए सौंप दिया जाए, लेकिन भारत लौटने के बाद इसे फिर से कोर्ट में जमा करना अनिवार्य होगा। दरअसल यह मामला निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत दर्ज है, जिसमें राजपाल यादव को पिछले साल सजा सुनाई गई थी।

 इस सजा के खिलाफ उन्होंने और उनकी पत्नी ने दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जून 2024 में कोर्ट ने यह मानते हुए उनकी सजा पर रोक लगा दी थी कि वह गंभीर अपराधी नहीं हैं और उनके मामले में सुधार और समाधान की गुंजाइश है। कोर्ट ने दोनों पक्षों को आपसी समझौते की संभावनाएं तलाशने का सुझाव दिया था, जो फिलहाल दिल्ली हाईकोर्ट के मध्यस्थता केंद्र में लंबित है। 

Check Bounce Case: जानें क्या है पूरा मामला

बता दें कि राजपाल यादव (Rajpal Yadav) ने साल 2010 में बतौर निर्देशक अपनी फिल्म 'आता-पता लापता' के लिए 5 करोड़ रुपये का लोन लिया था, लेकिन वह यह रकम वापस नहीं कर पाए। जिसके बाद राजपाल अन्य लोगों के खिलाफ चेक बाउंस से जुड़ी कई शिकायतें दर्ज की गईं। मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट ने राजपाल को कई नोटिस भेजे, लेकिन वह कोर्ट में पेश नहीं हुए। साल 2013 में उन्हें 10 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। उन्होंने 3 से 6 दिसंबर 2013 तक चार दिन जेल में बिताए, जिसके बाद दिल्ली उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने उनकी अपील पर सजा निलंबित कर दी।

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