मुंबईः बॉलीवुड के चर्चित फिल्म निर्देशक अनुभव सिन्हा, जो ‘मुल्क’, ‘थप्पड़’ और हालिया फिल्म ‘भीड़’ जैसे सामाजिक मुद्दों पर आधारित सिनेमा के लिए जाने जाते हैं, ने फिल्म इंडस्ट्री की मौजूदा आर्थिक स्थिति को लेकर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने एक वीडियो संदेश के जरिए यह स्पष्ट किया कि अगर भारतीय फिल्म इंडस्ट्री को आर्थिक रूप से मजबूत बनाना है, तो उसे फिर से सस्ते और सुलभ सिनेमाघरों की ओर लौटना होगा।
अनुभव सिन्हा का मानना है कि इंडस्ट्री आज जिस संकट का सामना कर रही है, उसकी जड़ें दो बड़े कारणों में हैं — पहला, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स पर निर्भरता और दूसरा, मल्टीप्लेक्स के महंगे टिकट। उन्होंने कहा, “ओटीटी प्लेटफॉर्म्स ने शुरुआत में इंडस्ट्री को सहारा दिया, लेकिन अब ये सीमित फिल्मों के चयन और कम बजट में डील करने लगे हैं। ऐसे में छोटे और मध्यम बजट की फिल्मों को बड़ा झटका लग रहा है।”
अनुभव सिन्हा ने कहा कि हिंदी सिनेमा को दक्षिण भारतीय फिल्म इंडस्ट्री से सीख लेनी चाहिए, जहां आज भी सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों की भरमार है और वहां के दर्शक कम दाम में बड़े पर्दे पर फिल्म का अनुभव ले पाते हैं। वहीं उत्तर भारत में सिंगल स्क्रीन थिएटरों की भारी कमी हो गई है। सिन्हा ने उदाहरण देते हुए बताया कि उनके गृहनगर वाराणसी में अब केवल एक सिंगल स्क्रीन सिनेमाघर बचा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब फिल्में रिलीज के अगले ही दिन टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म्स पर मुफ्त में उपलब्ध हो जाती हैं, तो इंडस्ट्री इस पायरेसी के खिलाफ आवाज क्यों नहीं उठाती? “हम असली बहस से भाग रहे हैं,” सिन्हा ने कहा। “हमें टिकट की महंगाई और पायरेसी जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देनी चाहिए, क्योंकि यही हमारे बिजनेस को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा रहे हैं।”
अनुभव सिन्हा ने सुझाव दिया कि सरकार और प्राइवेट सेक्टर को मिलकर सस्ते सिनेमाघरों के निर्माण में निवेश करना चाहिए। इससे न सिर्फ मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री की आर्थिक स्थिति भी सुधरेगी। उन्होंने कहा कि आज मध्यम वर्ग के पास केवल दो विकल्प हैं — या तो महंगे मल्टीप्लेक्स में जाकर फिल्म देखें या फिर अपने मोबाइल पर फिल्म का आनंद लें। ऐसे में थिएटर का अनुभव धीरे-धीरे खत्म होता जा रहा है। उन्होंने यूट्यूब का भी उदाहरण दिया और कहा कि यदि भविष्य में यूट्यूब अपने नियम बदल दे या कम कंटेंट दिखाने लगे, तो फिल्म इंडस्ट्री एक बार फिर संकट में पड़ जाएगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि “हमें अपनी व्यवस्था ऐसी बनानी होगी कि किसी प्लेटफॉर्म पर निर्भर न रहें। सिन्हा ने अंत में चेताया कि अगर अब भी इंडस्ट्री ने इन मुद्दों पर ध्यान नहीं दिया, तो इसका सीधा असर फिल्मों के बिजनेस पर पड़ेगा और भविष्य में कई प्रतिभाशाली फिल्मकारों को नुकसान उठाना पड़ेगा।
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