120 Bahadur Movie Review : फरहान अख्तर की दमदार अदाकारी के साथ 1962 के वीरों को समर्पित एक मार्मिक कहानी

खबर सार :-
120 Bahadur Movie Review : '120 बहादुर' 1962 के रेज़ांग ला युद्ध की अमर शौर्यगाथा को भावनात्मक और प्रभावशाली अंदाज़ में पेश करती है। फरहान अख्तर की तीव्र अभिनय-क्षमता, दमदार युद्ध दृश्य और सैनिकों की भाईचारे की कहानी फ़िल्म को बेहद मार्मिक बनाती है। कुछ कमजोरियों के बावजूद यह फ़िल्म दिल छू जाती है।

120 Bahadur Movie Review : फरहान अख्तर की दमदार अदाकारी के साथ 1962 के वीरों को समर्पित एक मार्मिक कहानी
खबर विस्तार : -

120 Bahadur Movie Review : सियासी तनाव और सीमा के हालातों को लेकर कई फ़िल्में आईं, लेकिन ’120 बहादुर’ उन कथाओं से थोड़ी अलग इसलिए है क्योंकि यह दर्शक को सीधे 1962 के रेज़ांग ला के रणक्षेत्र तक ले जाने में सफल होती दिखती है। जहाँ सिर्फ 120 भारतीय जवान लगभग 3000 चीनी सैनिकों से लोहा लेते हुए शहीद हुए थे। निर्देशक रज़नीश घई ने इस ऐतिहासिक बलिदान को सिनेमा की भाषा में जिस तरह पिरोया है, वह दर्शकों के हृदय को छूने में पूरी तरह कामयाब होती दिखती है। 

120 Bahadur Movie Review : फिल्म की कहानी

फ़िल्म की रीढ़ है मेजर शैतान सिंह भाटी का जबरदस्त किरदार, जिसे फ़रहान अख्तर ने इतनी सच्चाई और दृढ़ता के साथ निभाया है कि दर्शक उनकी आंखों में झलकते साहस से खुद को जोड़ता चला जाता है। फ़रहान सिर्फ एक सैनिक नहीं, बल्कि उस जज्बे के प्रतीक बनकर उभरते हैं जिसने चार्ली कंपनी, 13 कुमाऊँ रेजिमेंट के 120 जांबाज़ों को मृत्यु तक डटे रहने की प्रेरणा और ताकत दी। फ़िल्म में सैनिकों का एक ही क्षेत्र और समुदाय से होना कहानी को एक जुड़ाव देता है। ‘दादा किसान की जय’ के उद्घोष से लेकर साथियों के बीच हल्की-फुल्की तकरार और अंत में उसी दोस्ती का बलिदान में बदल जाना, ये सब दृश्य दर्शक के मन में भारीपन छोडने में सफल होते हैं। हाँ, कुछ हिस्से फ़िल्म की गति को धीमा करते हैं, जैसे मेजर भाटी और उनकी पत्नी (राशी खन्ना) पर आधारित बैकस्टोरी, जिसमें रंगीन होली गीत से बचा जा सकता था। इसके बावजूद, अंतिम एक घंटा फ़िल्म की आत्मा बनकर उभरता है।

सीमित हथियारों, टूटे मोर्चों और आखिरकार हाथापाई तक पहुँची लड़ाई का ऐसा तीव्र चित्रण बहुत कम हिंदी फ़िल्मों में अभी तक देखने को मिला है। रेडियो ऑपरेटर के रूप में स्पर्श वालिया का चरित्र विशेष रूप से उभरकर आता है, एक नौसिखिया सिपाही की बेबसी, डर और कर्तव्य-निष्ठा को उन्होंने बेहद वास्तविकता के साथ निभाया है। चीनी कमांडरों की प्रस्तुति भले ही कुछ अतिरंजित लगे, लेकिन भारतीय सैनिकों का साहस इन कमियों पर भारी पड़ता है। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि फ़िल्म अपनी भावनात्मक परतों में उलझकर कमजोर नहीं पड़ती। यह बार-बार रणभूमि पर लौटती है और दर्शाती है कि कैसे ये 120 बहादुर जवान आखिरी सांस तक मातृभूमि की रक्षा में जुटे रहे। यह कहानी सिर्फ युद्ध की नहीं, बल्कि वर्दी के मान, वीरता और सर्वाेच्च बलिदान की है। फिल्म का अंत आपकी आंख को नम करने में सफल होती है।  

120 Bahadur Movie Review : 120 बहादुर फ़िल्म कलाकार (कास्ट):

फरहान अख्तर, राशि खन्ना, स्पर्श वालिया, धनवीर सिंह, साहिब वर्मा, बृजेश करनवाल, अतुल सिंह, विवान भाटेना, अंकित सिवाच, अजींक्य देव, ईजाज़ ख़ान

120 बहादुर फ़िल्म निर्देशक: रज़नीश घई

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