नई दिल्लीः बांग्लादेश में एक बार फिर से सियासी उथल-पुथल मची हुई है। यहां सेना और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने दिसंबर तक आम चुनाव कराने की मांग की है। इस पर अंतरिम सरकार के मुखिया यूनुस खान ने पहले तो झुंझलाहट में इस्तीफा देने की बात कही, लेकिन कुछ ही घंटों बाद उनका इरादा बदल गया। उन्होंने कहा कि अगर उन पर जबरन चुनाव कराने या किसी और मुद्दे पर बेवजह दबाव बनाया गया, तो वे जनता के साथ मिलकर जवाबी कार्रवाई करेंगे। इस बीच बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यूनुस खान पर बड़ा आरोप लगाया दिया है। उन्होंने कहा कि यूनुस ने आतंकवादियों की मदद से बांग्लादेश की सत्ता को हथिया लिया है। इनमें से कई आतंकवादी संगठन ऐसे भी हैं, जिन पर अंतर्राष्ट्रीय बैन लगा हुआ है।
शेख हसीना के बांग्लादेश की सत्ता छोड़ने के बाद से वहां अस्थिरता बनी हुई है। बांग्लादेश में आरक्षण के मुद्दे को लेकर शुरू हुआ छात्र आंदोलन शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हिंसक बगावत में तब्दील हो गया था। इस आंदोलन को खाद और पानी देने का काम बांग्लादेश को अपने इशारों पर नचाने की कोशिश में जुटी कुछ विदेशी ताकतों और अलगाववादी नेताओं ने किया। शेख हसीना को सत्ता से उखाड़ फेंकने के लिए हिंसक आंदोलनकारियों की भीड़ प्रधानमंत्री आवास की तरफ बढ़ रही थी। इस बीच सेना प्रमुख ने शेख हसीना को अपना इस्तीफा सौंपने और चंद मिनटों में देश से निकल जाने का फरमान सुना दिया। स्पष्ट था कि हसीना सेना के उस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करतीं, तो अपनी व अपनों की जान भी नहीं बचा पातीं। 5 अगस्त 2024 को बांग्लादेश में बिना किसी खून-खराबे के तख्ता पलट हो गया। आंदोलनकारियों ने शेख हसीना और उनके पिता शेख मुजीबुर्रहमान से जुड़ी वस्तुओं, इमारतों और देश के गौरव की मिसाल बंग-बंधु म्यूजियम को तहस-नहस कर दिया। इस घटना के बाद से ही शेख हसीना भारत में शरण लिए हुए हैं।
अब बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस बतौर मुख्य सलाहकार अंतरिम सरकार के मुखिया हैं, लेकिन नौ महीने के भीतर ही वहां की जनता यूनुस सरकार के कारनामों से ऊब चुकी है। अब बांग्लादेश की सेना और यूनुस सरकार आमने-सामने है। बांग्लादेश की सेना हर हाल में दिसंबर 2025 तक चुनाव कराने का अल्टीमेटम दे चुकी है। जबकि यूनुस जनवरी से जून 2026 के बीच चुनाव की बात कह रहे हैं और चुनाव टालने की मांग कर रहे हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि बांग्लादेशी सेना के प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान ने यूनुस सरकार को अवैध करार दे दिया है। बौखलाए मोहम्मद यूनुस ने इस्तीफे की धमकी दी है। वहीं, दूसरी तरफ स्थिति को सामान्य बनाने और चुनाव की तिथि को टालने को लेकर यूनुस खान ने बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी और अन्य राजनीतिक दलों से बातचीत के माध्यम से बीच का रास्ता निकालने की योजना पर काम करना भी शुरू कर दिया है, लेकिन अब तक राजनीतिक संकट का कोई समान नहीं निकल पाया है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक बार फिर से हिंसक प्रदर्शनों का दौर शुरू होने की आशंका व्यक्त की जा रही है। आंकड़ों पर गौर करें, तो बांग्लादेश में दो दर्जन से ज्यादा बार तख्तापलट हो चुका है। ताजा हालात जैसे हैं, उसके हिसाब से यहां पर तख्लापलट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है।
देश के अंदर मचे सियासी उथल-पुथल के बीच बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यूनुस ने आतंकवादियों की मदद से बांग्लादेश की सत्ता हथियाई ली है। इनमें से कई आतंकी संगठन ऐसे हैं, जिनपर अंतर्राष्ट्रीय बैन लगा हुआ है। शेख हसीना ने अपनी फेसबुक पोस्ट में कहा कि यूनुस ने सत्ता हथियाने के लिए प्रतिबंधित लोगों की मदद ली है, जिनसे अब तक हमने बांग्लादेश के नागरिकों की रक्षा की थी। सिर्फ एक आतंकवादी हमले के बाद हमने सख्त कदम उठाए थे। कई लोगों को गिरफ्तार किया गया, लेकिन अब बांग्लादेश की जेलें खाली हैं। यूनुस ने ऐसे सभी लोगों को रिहा कर दिया और अब बांग्लादेश में उन आतंकवादियों का ही राज है। पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे महान बंगाली राष्ट्र का संविधान, जिसे हमने लंबे संघर्ष और मुक्ति संग्राम से हासिल किया है। इस उग्रवादी नेता को, जिसने अवैध रूप से सत्ता पर कब्जा कर लिया है, संविधान को छूने का अधिकार किसने दिया? उनके पास लोगों का जनादेश नहीं है, उनका कोई संवैधानिक आधार नहीं है। इसलिए यूनुस का मुख्य सलाहकार के पद पर रहने का भी कोई आधार नहीं है और वह अस्तित्व में नहीं है। ऐसे में वह संसद के बिना कानून कैसे बदल सकते हैं, यह पूरी तरह से अवैध है। उन्होंने देश में अवामी लीग पर प्रतिबंध लगा दिया है।
बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना ने अपने पिता के दौर को याद करते हुए कहा कि जब अमेरिका को सेंट मार्टिन द्वीप चाहिए था, तो मेरे पिता शेख मुजीबुर रहमान इसके लिए राजी नहीं हुए थे। उन्हें अपनी जान देनी पड़ी और यही मेरी नियति थी, क्योंकि मेरे मन में कभी यह ख्याल नहीं आया कि सत्ता में बने रहने के लिए देश को बेच दिया जाए और जिस देश के लोगों ने राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान के आह्वान पर हथियार उठाए, युद्ध किया और 30 लाख लोगों को आजाद कराने के लिए अपनी जान दे दी। उस देश की एक इंच जमीन भी किसी को देना किसी की मंशा नहीं हो सकती, लेकिन आज यूनुस अमेरिका को बांग्लादेश बेच रहे हैं।
दरअसल, बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन की मांग यूं ही नहीं उठ रही है। यह सब कुछ भारत-पाक सीमा विवाद के दौरान पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों के खिलाफ भारत सरकार की तरफ से की गई कठोर सैन्य कार्रवाई का नतीजा है, क्योंकि भारत ने अपने पड़ोसियों को बता दिया है कि आतंकवाद और उग्रवाद के खिलाफ उसकी रणनीति स्पष्ट है। वह अपनी सीमा में रहकर भी पड़ोसी मुल्क में आतंकवादियों के शिविरों, आतंकवादी संगठनों को नेस्तोनाबूद कर सकता है। पाकिस्तान की सरकार जिस चीन, तुर्की, अजरबैजान और अन्य मित्र देशों के बल पर गीदड़-भभकी दिया करता था, उनके हथियारों और बुरे वक्त में सहयोग करने के दावों की पोल खुल चुकी है। भारतीय वायुसेना के पास सबूत हैं कि उसने एक C-130 जे विमान, एक जेएफ-17, और दो एफ -16 विमानों को मार गिराया, जो हवा और जमीन दोनों पर थे। भारत ने चीन के एचक्यू -9 और एलवाई -80 हवाई डिफेंस सिस्टम को भी नष्ट कर दिया। इसके साथ ही तुर्किए के सैकड़ों ड्रोन को हवा में ही उड़ा दिया। भारत की सैन्य ताकतों ने चीन और अमेरिका के हथियारों की ताकत और बार-बार परमाणु बम की धमकियां देने वाले पाकिस्तान को भी बेनकाब कर दिया है। इस घटनाक्रम के बाद पूरी दुनिया में भारत का डंका बज चुका है।
यूनुस खान ने बांग्लादेश और भारत के बीच संबंधों को सुधारने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात करने की कोशिश की लेकिन उन्होंने मना कर दिया, क्योंकि बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिन्दुओं के खिलाफ लगातार होने वाली हिंसक घटनाओं के खिलाफ यूनुस सरकार मौन है। इससे भारत की सरकार काफी नाराज है, वह बांग्लादेश की अंतरिम सरकार को अल्टीमेटम भी दे चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे में बांग्लादेश की यूनुस सरकार के खिलाफ वहां की आवाम के सीने में दबी राख फिर से चिंगारी बन चुकी है। जिस तरह से शेख हसीना भारत में रहकर बांग्लादेश की जनता को सोशल मीडया के माध्यम से और अपने समर्थकों के माध्यम से संदेश दे रही हैं, वह सत्ता परिवर्तन की शुरुआत के रूप में देखा जा रहा है। इसमे बांग्लादेश की सेना के प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान का यूनुस खान की सरकार को अवैध बताना आग में घी का काम कर रहा है। यदि समय रहते यूनुस खान ने कोई फैसला नहीं लिया, तो स्थितियां भयावह हो सकती हैं।
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