दक्षिण अफ्रीका बनेगा भारतीय ऑटो कंपनियों का नया मैन्युफैक्चरिंग हब

खबर सार :-
भारत की ऑटोमोबाइल कंपनियों द्वारा दक्षिण अफ्रीका में बढ़ता निवेश न केवल द्विपक्षीय व्यापारिक संबंधों को मजबूती देगा, बल्कि अफ्रीका में टिकाऊ और हरित मैन्युफैक्चरिंग के नए अवसर भी खोलेगा। यह साझेदारी दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाओं के लिए दीर्घकालिक लाभदायक साबित हो सकती है, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक वाहन और निर्यात आधारित विनिर्माण के क्षेत्र में काफी लाभ मिलेगा।

दक्षिण अफ्रीका बनेगा भारतीय ऑटो कंपनियों का नया मैन्युफैक्चरिंग हब
खबर विस्तार : -

Auto Industry: भारत की ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री अब अफ्रीकी बाजार में अपनी उपस्थिति मजबूत करने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रही है। दक्षिण अफ्रीका में भारतीय कंपनियां अपने मौजूदा असेंबली प्लांट्स को अपग्रेड कर पूर्ण विकसित मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स में बदलने और नए प्लांट स्थापित करने की तैयारी में हैं। न्यूज साउथ अफ्रीका की रिपोर्ट के अनुसार, यह पहल ऐसे समय में की जा रही है जब दक्षिण अफ्रीका अपनी अर्थव्यवस्था में निवेश आकर्षित करने और स्थानीय ऑटो सेक्टर को पुनर्जीवित करने के प्रयासों को तेज कर रहा है।

निवेश में रुचि दिखा रहे भारतीय और चीनी निर्माता

दक्षिण अफ्रीका के व्यापार, उद्योग और प्रतिस्पर्धा मंत्री पार्क्स ताऊ ने बताया कि भारतीय और चीनी वाहन निर्माता देश में निवेश बढ़ाने को लेकर उत्साहित हैं। सरकार स्थानीय ऑटो उद्योग को पुनर्जीवित करने के लिए कई वैश्विक मैन्युफैक्चरर्स से बातचीत कर रही है। यह कदम ऐसे समय उठाया जा रहा है जब निर्यात मांग में कमी, सस्ते आयात की बढ़ती प्रतिस्पर्धा और कमजोर इंफ्रास्ट्रक्चर जैसी चुनौतियां इस सेक्टर के लिए चिंता का विषय बनी हुई हैं।

वैश्विक व्यापार नीतियों से बदल रहा बाजार परिदृश्य

अमेरिका की डोनाल्ड ट्रंप सरकार की ओर से टैरिफ लगाने के बाद दक्षिण अफ्रीका के वाहन निर्यात पर दबाव बढ़ गया है। वहीं, यूरोपीय संघ द्वारा ईंधन चालित इंजनों पर प्रतिबंध के प्रस्ताव ने दक्षिण अफ्रीका के प्रमुख निर्यात बाजारों को भी खतरे में डाल दिया है। इन परिस्थितियों ने दक्षिण अफ्रीकी सरकार को न्यू एनर्जी व्हीकल (एनईवी) और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में निवेश आकर्षित करने की दिशा में ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया है।

भारतीय कंपनियों की बड़ी योजनाएँ

मंत्री ताऊ के अनुसार, भारतीय निवेशक स्थानीय कंपनियों के साथ साझेदारी कर न केवल मौजूदा मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी का विस्तार करना चाहते हैं, बल्कि नए प्लांट स्थापित करने की दिशा में भी लगातार काम कर रहे हैं। महिंद्रा एंड महिंद्रा ने अपने दक्षिण अफ्रीकी संयंत्र को सेमी-नॉक्ड-डाउन (एसकेडी) से कंप्लीट-नॉक्ड-डाउन (सीकेडी) यूनिट में अपग्रेड करने की योजना की पुष्टि की है। इससे स्थानीय स्तर पर पूर्ण वाहन निर्माण संभव होगा, जिससे रोजगार और निर्यात दोनों को बल मिलेगा। इसके अलावा, महिंद्रा ने डरबन में इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) असेंबली यूनिट स्थापित करने की भी योजना जताई है। इस परियोजना को दक्षिण अफ्रीकी सरकार की ‘स्थानीय विनिर्माण को प्रोत्साहन’ नीति से समर्थन मिलेगा।

टाटा मोटर्स की अफ्रीकी बाजार में वापसी

टाटा मोटर्स, जिसने वर्ष 2017 में अफ्रीकी बाजार से अपना निर्यात रोक दिया था, अब मोटस होल्डिंग्स लिमिटेड, दक्षिण अफ्रीका के सबसे बड़े यात्री वाहन रिटेलर के साथ साझेदारी कर फिर से बाजार में उतर रही है। यह साझेदारी टाटा की अफ्रीका में दीर्घकालिक उपस्थिति को पुनर्स्थापित करने में मदद करेगी। दक्षिण अफ्रीकी सरकार भी टोयोटा और फोर्ड जैसी वैश्विक कंपनियों के साथ मिलकर अपने ऑटो उद्योग के भविष्य को सुरक्षित करने की दिशा में कदम बढ़ा रही है।

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