नई दिल्लीः लगातार सामने आ रही नई नई बीमारियों की कड़ी में अब चागास रोग का नाम भी जुड़ गया है, जिसे फैलाने वाला एक खास किस्म का कीट किसिंग बग (Kissing Bug) कहलाता है। एक नई रिपोर्ट के मुताबिक, यह बीमारी जो कभी सिर्फ लैटिन अमेरिका तक सीमित थी, अब अमेरिका के 32 राज्यों में अपने पैर पसार चुकी है, जिससे दुनिया भर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों के माथे पर चिंता की लकीरें देखी जा सकती हैं।
चागास रोग की सबसे बड़ी चुनौती यह है कि यह लंबे समय तक खामोशी से काम करता रहता है। बीमारी की शुरुआत में इसके लक्षण बहुत ही हल्के दिखाई देते हैं। जैसे बुखार, शरीर में दर्द या थकान। ये लक्षण अक्सर आम बीमारियों जैसे फ्लू के समान ही होते हैं, जिसकी वजह से अक्सर लोग इसे गंभीरता से नहीं लेते। इसी दौरान, यह परजीवी धीरे-धीरे शरीर के अंदरूनी हिस्सों, विशेषकर हृदय की मांसपेशियों और पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचाता रहता है। कई साल बाद, जब यह रोग अपने गंभीर स्टेज में पहुंचता है, तो दिल का दौरा, स्ट्रोक या यहां तक कि हार्ट फेल जैसी जानलेवा जटिलताएं जैसी समस्या हो सकती है।
यह बीमारी ट्रिपैनोसोमा क्रूजी नामक एक परजीवी के कारण फैलती है। यह परजीवी किसिंग बग के मल में पाया जाता है। यह कीट रात में सोते हुए लोगों के चेहरे या होंठ के पास काटता है और फिर उसी जगह पर मल त्याग करता है। जब कोई व्यक्ति खुजलाता है, तो यह परजीवी आसानी से त्वचा या आंखों के माध्यम से शरीर में प्रवेश कर जाता है।
अमेरिकी स्वास्थ्य विभाग के नवीनतम अध्ययन के अनुसार, अमेरिका के 32 राज्यों में इस रोग की पुष्टि की जा चुकी है, जिनमें कैलिफोर्निया, टेक्सास और फ्लोरिडा जैसे बड़े और घनी आबादी वाले राज्य भी शामिल हैं। टेक्सास में 2013 से 2023 के बीच 50 से अधिक लोगों में इस रोग के स्थानीय मामले सामने आए हैं। चिंता की बात यह है कि अमेरिका में अनुमानित तौर पर लगभग 3 लाख लोग संक्रमित हैं, लेकिन इनमें से 2 प्रतिशत से भी कम लोगों को अपनी बीमारी के बारे में पता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोग, खासकर जहां पुराने और कच्चे मकान हैं, उन्हें इस बीमारी का खतरा अधिक होता है। इसके अलावा, बाहर खुले में सोने वाले लोग, रक्तदान या अंग प्रत्यारोपण करवाने वाले मरीज और गर्भवती महिलाएं भी इस जोखिम में शामिल हैं। पालतू जानवर, जैसे कुत्ते को माध्यम बनाकर भी ये परजीवी आप को अपना निशाना बना सकते हैं।
दुर्भाग्यवश, चागास रोग के लिए अभी कोई टीका उपलब्ध नहीं है। इसलिए, इससे बचाव के उपाय ही सबसे महत्वपूर्ण हैं। घरों में दरवाजों और दीवारों की दरारों को बंद करना, खिड़कियों पर जाली लगाना और आसपास की गंदगी को साफ रखना इस बीमारी से बचने का सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण उपाय है। विशेषज्ञ कीटनाशकों के उपयोग और सोते समय मच्छरदानी के प्रयोग की भी सलाह दे रहे हैं, खासकर उन इलाकों में जहाँ इसका खतरा अधिक है।
हालांकि, अगर समय पर इसकी पहचान हो जाए तो इसका इलाज संभव है। बेनजनिडाजोल और निफर्टिमोक्स जैसी दवाएं तीव्र चरण में इस रोग को 80 से 100 प्रतिशत तक ठीक कर सकती हैं। लंबे समय तक बीमारी रहने पर ये दवाएं रोग की प्रगति को धीमा कर सकती हैं, लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं कर पातीं। ऐसे मामलों में दिल की गंभीर समस्याओं के लिए पेसमेकर या हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत भी पड़ सकती है।
विशेषज्ञों का कहना है कि चागास रोग अब केवल लैटिन अमेरिका की समस्या नहीं रही, बल्कि विकसित देशों में भी तेजी से फैल रही है। भारत में भी, जहाँ ग्रामीण क्षेत्रों में इस प्रकार के कीट पाए जाते हैं, लोगों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को इस बीमारी के प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है, ताकि समय पर इसकी पहचान और इलाज सुनिश्चित किया जा सके।
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