Uttar Pradesh Encounter Report 2025 : उत्तर प्रदेश में 2017 से अब तक कानून व्यवस्था को लेकर चल रही चर्चाएं और ज्यादा गरम होने की उम्मीद की जा सकती है। एक ओर जहां सत्ता पक्ष और भाजपा यूपी की कानून व्यवस्था को सुदृढ़ बताते नहीं थक रहे वहीं विपक्ष राज्य में अपराध बढ़ने और अपराधियों को सत्ता पक्ष द्वारा संरक्षण दिए जाने के आरोप लगातार लगा रहा है। इसी सिलसिले में यूपी पुलिस ने योगी सरकार के कार्यकाल यानी 2017 से अब तक के एंकाउंटरों का आंकड़ा जारी किया है।
यूपी पुलिस में कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण ने जो विस्तृत रिपोर्ट जारी की है उसके के अनुसार, सूबे में बीते आठ वर्षों में अपराधियों की पुलिस के साथ कुल 14,741 बार आमना-सामना हुआ। पुलिस अपराधियों के बीच चली गोलियों में कुल 234 खतरनाक अपराधी मार गिराए गए है, वहीं 9,202 अपराधी घायल हो अस्पताल पहुंचे। इतना ही नहीं कुल 30,293 अपराधी मुठभेड़ों के बाद गिरफ्तार किए गए।
इन आंकड़ों को देखने से यह स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अपराध के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति सिर्फ शब्दों तक सीमित नहीं है, बल्कि उसे ज़मीनी स्तर पर क्रियान्वित भी किया जा रहा है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद एक नई बहस को भी जन्म दे दिया गया क्या यह केवल अपराध नियंत्रण है या फिर पुलिसिया ताकत का एक नया चेहरा है?
राज्य की योगी सरकार दावा करती है कि सख्त नीति के चलते गैंगस्टर नेटवर्क, संगठित अपराध और गुंडा तत्वों की नकेल कसी जा सकी है। लेकिन बढ़ती एनकाउंटर की संख्या ने मानवाधिकार संगठनों और सिविल सोसायटी सहित सियासी दलों को सतर्क कर दिया है। जब कानून-व्यवस्था को मजबूत करने के नाम पर बार-बार मुठभेड़ की जाए, तो सवाल का उठना भी तय हैं। क्या अपराध पर नकेल सकने के लिए हर बार एनकाउंटर का सहारा लेना जरूरी था? क्या हर मुठभेड़ न्यायिक प्रक्रिया के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल की गई?
सरकार का तर्क है कि इन कार्यवाहियों से आम नागरिकों को सुरक्षा का अनुभव हुआ है। अपराधियों में कानून का डर लौटा है और गैंगस्टर कल्चर पर प्रभावी प्रहार हुआ है। वहीं, सरकार ने यह भी साफ किया कि हर एनकाउंटर को कानूनी प्रक्रिया के अनुसार जांच के दायरे में रखा गया है।
उत्तर प्रदेश के कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) राजीव कृष्ण द्वारा जारी किए गए आँकड़ों के अनुसार, पिछले आठ वर्षों में सूबे में 234 दुर्दांत अपराधी मुठभेड़ों में मारे गए और 9,202 अपराधी घायल हुए हैं। पुलिस के दिए बयान में यह भी कहा गया है कि राज्य की योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली सरकार की अपराधियों के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस नीति बहुत कारगर साबित हो रही है।
इन 8 वर्षों में कुल 14,741 मुठभेड़ की घटनाएँ हुई हैं, जिनमें 30,293 अपराधियों को गिरफ्तार किया गया है। उत्तर प्रदेश में मुठभेड़ों के दौरान अपराधियों का सामना करते हुए 18 पुलिसकर्मियों ने अपनी जान गंवाई है, जबकि 1,700 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। यह दर्शाता है कि एनकाउंटर की रणनीति सिर्फ अपराधियों के लिए नहीं, बल्कि पुलिस बल के लिए भी चुनौतीपूर्ण और जोखिम भरी रही है।
रिपोर्ट के मुताबिक मेरठ जोन में सबसे अधिक 4,183 एनकाउंटर हुए। इन एंकाउंटरों में 7,871 अपराधी गिरफ्तार किए गए तो 2,839 अपराधी घायल हुए। मेरठ जोन में 77 अपराधियों को मौत के घाट उतारा गया तो यूपी पुलिस ने अपने दो पुलिसकर्मियों को भी खोया। कुल 452 घायल हुए।
दूसरे स्था पर वाराणसी जोन रहा जहां पर आठ सालों में अपराधियों से पुलिस की कुल 1,041 मुठभेड़ें हुई है। इन मुठभेड़ों में 2,009 अधराधी सलाखों के पीछे भेजे गए तो 26 अपराधियों को जीवन लीला समाप्त कर दी गई। इसमें से कुल 605 घायल हुए। जबकि 96 पुलिसकर्मी भी घायल हुए।
तीसरे नम्बर पर आगरा जोन रहा जहां पर इन आठ सालों में कुल 2,288 एनकाउंटर में 5,496 अपराधी गिरफ्तार और कुल 715 अपराधी घायल तो 19 अपराधी मारे गए। जबकि 56 पुलिसकर्मी भी अपराधियों से मुठभेड़ में घायल हुए।
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