भस्म आरती में उमड़ा भक्तों का सैलाब, बाबा महाकाल ने ‘त्रिपुंड-चंद्रमा’ वाले मनमोहक स्वरूप में दिए दर्शन

खबर सार :-
उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में अगहन मास की षष्ठी तिथि पर हुए त्रिपुंड-चंद्रमा रूपी दर्शन ने भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक अनुभव प्रदान किया। भस्म आरती में सम्मिलित होकर श्रद्धालुओं ने बाबा से सुख, समृद्धि और कल्याण की कामना की। महाकाल की यह दिव्यता न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सनातन परंपरा की अनवरत जीवंतता को भी दर्शाती है।

भस्म आरती में उमड़ा भक्तों का सैलाब, बाबा महाकाल ने ‘त्रिपुंड-चंद्रमा’ वाले मनमोहक स्वरूप में दिए दर्शन
खबर विस्तार : -

Mahakal Tripund Chandrama: उज्जैन (मध्य प्रदेश) स्थित विश्वप्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में मंगलवार सुबह अगहन मास कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि पर बाबा महाकाल के दिव्य दर्शन हुए। इस पावन अवसर पर भगवान महाकाल ने त्रिपुंड और माथे पर चंद्रमा धारण किए हुए मनमोहक स्वरूप में दर्शन दिए। जैसे ही मंदिर के पट सुबह 4 बजे खुले, वैसे ही पूरा परिसर “हर-हर महादेव” के जयकारों से गूंज उठा। देर रात से ही हजारों श्रद्धालु भस्म आरती के लिए लाइन में खड़े होकर इस दिव्य क्षण का इंतजार कर रहे थे।

पंचामृत अभिषेक और भस्म अर्पण की परंपरा

पट खुलते ही पुजारियों ने भगवान महाकाल का दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से पंचामृत अभिषेक किया। इसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से शिवलिंग पर भस्म अर्पित की गई। इस अनुष्ठान में बाबा भक्तों को निराकार रूप में दर्शन देते हैं। आरती संपन्न होने के बाद बाबा का चंदन, भस्म और रजत श्रृंगार किया गया। उनके माथे पर चंद्रमा सुसज्जित किया गया और नवीन मुकुट धारण कराया गया। फूलों की माला अर्पित करने के बाद बाबा ने साकार रूप में भक्तों को दर्शन दिए।

ऑनलाइन पंजीकरण से मिलता है आरती में प्रवेश

भस्म आरती का हिस्सा बनने के लिए भक्तों को पहले से ही ऑनलाइन पंजीकरण कराना आवश्यक है। मंदिर प्रबंधन द्वारा निर्धारित शुल्क जमा करने के बाद टोकन जारी किया जाता है, जिसके आधार पर श्रद्धालु उसी दिन भस्म आरती में सम्मिलित हो सकते हैं। देशभर से आए भक्त इस अलौकिक दर्शन का लाभ उठाते हैं।

महाकाल के दर्शन का महत्व और आस्था

मान्यता है कि महाकाल की आराधना से कालदोष, ग्रहदोष और अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है। राहु-केतु या अन्य ग्रह दोषों से पीड़ित भक्तों के लिए भी यह पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है। महाकाल मंदिर में प्रतिदिन छह आरतियां होती हैं और प्रत्येक आरती का अपना धार्मिक महत्व बताया गया है।

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