बुधवार को भूलकर भी न करें ये काम, रुष्ट हो सकते हैं बुध देव

खबर सार :-
बुधवार का दिन बुध ग्रह की कृपा पाने के लिए विशेष महत्व रखता है। इस दिन संयम, सत्य और सात्विक आचरण अपनाने से बुध दोष शांत होता है और बुद्धि व वाणी में सुधार आता है। पूजा, व्रत और गलत कार्यों से परहेज कर जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।

बुधवार को भूलकर भी न करें ये काम, रुष्ट हो सकते हैं बुध देव
खबर विस्तार : -

Ganesh Puja: पौष माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि बुधवार को पड़ रही है। इस दिन सूर्य धनु राशि में स्थित रहेंगे, जबकि चंद्रमा शाम 7 बजकर 46 मिनट तक मकर राशि में रहेंगे और इसके बाद कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। द्रिक पंचांग के अनुसार, बुधवार को अभिजीत मुहूर्त का योग नहीं बन रहा है। वहीं राहुकाल दोपहर 12 बजकर 21 मिनट से शुरू होकर 1 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। इस दिन कोई विशेष पर्व नहीं है, लेकिन बुध ग्रह से संबंधित दोषों के निवारण के लिए यह दिन अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।

बुधवार और बुध ग्रह का महत्व

ज्योतिष शास्त्र में बुधवार का संबंध बुध ग्रह से माना गया है। बुध ग्रह बुद्धि, वाणी, व्यापार, गणित और तर्क शक्ति के कारक हैं। यदि किसी जातक की कुंडली में बुध कमजोर या पीड़ित अवस्था में हो, तो जीवन में निर्णय लेने में कठिनाई, वाणी दोष और करियर में रुकावटें आ सकती हैं। ऐसे में बुधवार का व्रत और पूजा बुध ग्रह को शांत करने में सहायक मानी जाती है।

बुधवार को किन कामों से करें परहेज

धार्मिक ग्रंथों के अनुसार बुधवार के दिन कुछ कार्यों से बचना चाहिए। इस दिन मांस और मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। झूठ बोलना, किसी का अपमान करना या कटु वचन कहना भी वर्जित माना गया है। इसके अलावा बाल या दाढ़ी कटवाना, बिना कारण क्रोध करना और जरूरतमंद का अपमान करना बुध देव को अप्रसन्न कर सकता है।

गजानन महाराज और गणेश पूजा का विधान

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बुधवार को गजानन महाराज और श्री गणेश की विशेष पूजा करने से बुद्धि, ज्ञान और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। गणेश जी को बुध ग्रह का नियंत्रक देव माना गया है, इसलिए उनकी पूजा से बुध दोष में कमी आती है। जो जातक व्रत नहीं रख सकते, वे कम से कम संयम और सात्विकता का पालन अवश्य करें।

बुधवार व्रत और पूजा विधि

धर्म ग्रंथों में बुधवार व्रत की स्पष्ट विधि बताई गई है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और पूजा स्थल को स्वच्छ कर गंगाजल से शुद्ध करें। चौकी पर हरा या पीला वस्त्र बिछाकर पूजा सामग्री रखें। ईशान कोण की ओर मुख करके बैठें। श्री गणेश को दूर्वा और पीले पुष्प अर्पित करें तथा बुध देव को हरे वस्त्र चढ़ाएं। “ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ…” मंत्र का जाप करें। व्रत कथा सुनकर हलवे का भोग लगाएं, आरती करें और शाम को फलाहार से व्रत का पारण करें।

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