Navratri Special: यूपी के ये 5 प्रमुख शक्तिपीठ, जहां दर्शन मात्र से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं

खबर सार :-
Shardiya Navratri 2025: अगर आप नवरात्रि के पावन अवसर पर माता रानी के दर्शन की योजना बना रहे हैं, तो उत्तर प्रदेश आपकी यात्रा सूची में ज़रूर शामिल होना चाहिए। यूपी धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है, जहां कई प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थित हैं। ये स्थान भक्तों की आस्था के केंद्र माने जाते हैं।

Navratri Special: यूपी के ये 5 प्रमुख शक्तिपीठ, जहां दर्शन मात्र से पूर्ण होती हैं मनोकामनाएं
खबर विस्तार : -

Navratri Special: शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri 2025) 22 सितंबर से शुरू हो गई है। यह पर्व शक्ति की आराधना और साधना का एक भव्य उत्सव है। माता दुर्गा की पूजा और आराधना का पावन पर्व नवरात्रि देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर देवी मंदिरों में भारी भीड़ उमड़ती है। उत्तर प्रदेश में देवी दुर्गा को समर्पित कई प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं। विशेष रूप से, यहां के पांच शक्तिपीठ अत्यधिक पूजनीय माने जाते हैं और इनका उल्लेख देवी पुराण में भी मिलता है।

रामगिरि शक्तिपीठ- 

चित्रकूट के रामगिरि में स्थित यह शक्तिपीठ पौराणिक महत्व रखता है। ऐसा माना जाता है कि यहां सती का दाहिना वक्ष गिरा था। यहां देवी की शिवानी नाम से पूजा की जाती है। नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में बड़ी संख्या में भक्त आते हैं और वातावरण पूरी तरह भक्तिमय हो जाता है।

श्री उमा शक्तिपीठ- 

वृंदावन में भूतेश्वर महादेव मंदिर के निकट स्थित यह शक्तिपीठ 'उमा देवी मंदिर' के नाम से प्रसिद्ध है। मान्यता है कि यहाँ देवी सती के केश और पैर की अँगूठी गिरी थी। यह स्थान भक्तों की आस्था का एक प्रमुख केंद्र है, जहाँ वर्ष भर भक्त दर्शन के लिए आते हैं।

विशालाक्षी शक्तिपीठ-

वाराणसी में मणिकर्णिका घाट के निकट स्थित विशालाक्षी शक्तिपीठ, 51 शक्तिपीठों में अपना विशेष स्थान रखता है। देवी सती की मणिकर्णिका यहीं गिरी थी और वे विशालाक्षी तथा मणिकर्णी के नाम से प्रसिद्ध हुईं। इस शक्तिपीठ से वाराणसी का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

पंचसागर शक्तिपीठ-

इस शक्तिपीठ का सटीक स्थान ज्ञात नहीं है, लेकिन ऐसा माना जाता है कि यहाँ देवी सती की निचली दाढ़ गिरी थी। इसी कारण इस स्थान को वाराही शक्ति के नाम से जाना जाता है।

प्रयाग शक्तिपीठ-

संगम तट पर स्थित प्रयाग शक्तिपीठ का अत्यधिक महत्व है। मान्यता है कि यहाँ सती का हाथ गिरा था। प्रयागराज में तीन मंदिर - ललितादेवी, कल्याणीदेवी और अलोपीदेवी धाम - शक्तिपीठ माने जाते हैं। संगम में स्नान और इन मंदिरों के दर्शन-पूजन को मोक्षदायी माना जाता है।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के ये पांचों शक्तिपीठ न केवल धार्मिक आस्था के केंद्र हैं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का भी अभिन्न अंग हैं। शारदीय नवरात्रि (Navratri) जैसे पर्व इन स्थानों की महिमा को और बढ़ा देते हैं। यहां दर्शन-पूजन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उन्हें शक्ति एवं शांति प्राप्त होती है।

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