Shardiya Navratri 2025 : नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की करें आराधना, जानें माता का प्रिय भोग और मंत्र

खबर सार :-
Shardiya Navratri 2025 Maa Kalratri : नवरात्रि 22 सितंबर से शुरू हो गई है। यानी नौ दिनों तक देवी माँ के नौ रूपों की विधि-विधान से पूजा की जाएगी। सातवें दिन कालरात्रि की पूजा की जाती है। आइए आचार्य से जानें देवी माँ को प्रसन्न करने की विधि।

Shardiya Navratri 2025 : नवरात्रि की सप्तमी तिथि को मां कालरात्रि की करें आराधना, जानें माता का प्रिय भोग और मंत्र
खबर विस्तार : -

Shardiya Navratri 2025 : वासंतिक नवरात्र के सातवें दिन मां दुर्गा के सप्तम् स्वरूप माता कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा होती है। छठे दिन शनिवार-रविवार को देवी कात्यायनी की आराधना की गयी। मां कालरात्रि का स्वरूप देखने में अत्यंत भयानक है। इनका वर्ण अंधकार की भांति काला है। केश बिखरे हुए हैं और कंठ में विद्युत की चमक वाली माला है। देवी कालरात्रि के तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल व गोल हैं, जिनमें से बिजली की भांति किरणें निकलती रहती हैं। इनकी नासिका से श्वास तथा निःश्वास से अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं। मां का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए है। माता कालरात्रि अपने भक्तों को सदैव शुभ फल प्रदान करती हैं। इस कारण इन्हें शुभंकरी भी कहा जाता है। दुर्गा पूजा के सप्तम दिन साधक का मन ‘सहस्रार’ चक्र में अवस्थित होता है।

Maa Kalratri: मां कालरात्रि का स्वरूप

देवी कालरात्रि का वर्ण काजल के समान काले रंग का है जो अमावस की रात्रि से भी अधिक काला है। मां कालरात्रि अपने तीनों बड़े बड़े उभरे हुए नेत्रों से भक्तों पर अनुकम्पा की दृष्टि रखती हैं। देवी की चार भुजाएं हैं। दायीं ओर की ऊपरी भुजा से महामाया भक्तों को वरदान दे रही हैं और नीचे की भुजा से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं। बायीं भुजा में क्रमशः तलवार और खड्ग धारण किया है। देवी कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं और हवाओं में लहरा रहे हैं। देवी कालरात्रि गर्दभ पर सवार हैं। मां का वर्ण काला होने पर भी कांतिमय और अद्भुत दिखाई देता है। 

देवी का यह रूप ऋद्धि सिद्धि प्रदान करने वाला है। दुर्गा पूजा का सातवां दिन तांत्रिक क्रिया की साधना करने वाले भक्तों के लिए अति महत्वपूर्ण होता है। सप्तमी पूजा के दिन तंत्र साधना करने वाले साधक मध्य रात्रि में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं। इस दिन मां की आंखें खुलती हैं। सप्तमी की रात्रि ‘सिद्धियों’ की रात भी कही जाती है। कुण्डलिनी जागरण के लिए जो साधक साधना में लगे होते हैं इस दिन सहस्त्रसार चक्र का भेदन करते हैं। सप्तमी को देवी की पूजा के बाद शिव और ब्रह्मा जी की पूजा भी अवश्य करनी चाहिए।

Shardiya Navratri 2025 : मां कालरात्रि का प्रिय भोग

चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि मां कालरात्रि को प्रसन्न करने के लिए उन्हें गुड़ और हलवा का भाग लगाना चाहिए। यह भोग मां कालरात्रि का अति प्रिय है। माता रानी इससे बेहद प्रसन्न होती हैं और अपने भक्त की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं।

देवी कालरात्रि का मंत्र

या देवी सर्वभूतेषु मां कालरात्रि रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
 

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