Sharadiya Navratri 2025: नवरात्रि के पर्व के दौरान मां दुर्गा की पूजा हर स्थान पर की जाती है। भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मां दुर्गा के कई शक्तिपीठ हैं, जिनमें देवी सती के विभिन्न अंगों के गिरने के कारण विशेष महत्व प्राप्त है। मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में से कई भारत के बाहर स्थित हैं। इनमें बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका और तिब्बत जैसे देशों में भी देवी के पवित्र स्थल हैं। इन शक्तिपीठों के दर्शन करने से मनुष्य को शांति, समृद्धि और आशीर्वाद मिलता है। इन शक्तिपीठों के बारे में जानकारी देने के साथ हम यह भी जानेंगे कि ये स्थल श्रद्धालुओं के लिए क्यों पवित्र माने जाते हैं।
तिब्बत में कैलाश पर्वत के पास मानसरोवर झील के किनारे स्थित मनसा शक्तिपीठ को अत्यधिक श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है। यह स्थान देवी सती के दाहिने हाथ के गिरने से प्रसिद्ध है, जिसे दाक्षायनी रूप में पूजा जाता है। यह स्थान धार्मिक दृष्टि से इतना पवित्र है कि श्रद्धालु दूर-दूर से यहां आते हैं।
पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत में स्थित कोट्टरी शक्तिपीठ हिंगलाज नदी के तट पर है, जहां देवी सती का ब्रह्मरंध्र (सिर का ऊपरी भाग) गिरा था। इस स्थान पर मां को कोट्टरी रूप में पूजा जाता है, और यह स्थल पाकिस्तान के हिंदू समुदाय के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है।
नेपाल के पोखरा में गण्डकी चंडी शक्तिपीठ स्थित है, जो गण्डकी नदी के किनारे मुक्तिनाथ मंदिर के पास है। यहां देवी सती का मस्तक गिरा था और माता को गंडकी चंडी के रूप में पूजा जाता है। वहीं, काठमांडू के पास महाशिरा या गुह्येश्वरी शक्तिपीठ में देवी के दोनों घुटने गिरे थे।
श्रीलंका के जाफना जिले के नैनातिवु द्वीप पर स्थित इंद्राक्षी शक्तिपीठ में देवी सती की पायल गिरने से यह स्थान पवित्र हो गया। यहां पर देवी को इंद्राक्षी रूप में पूजा जाता है, और यह स्थल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है।
बांग्लादेश में सात शक्तिपीठ प्रमुख हैं, जिनमें से कुछ को बहुत मान्यता प्राप्त है:
मां भवानी शक्तिपीठ: बांग्लादेश के चिट्टागौंग जिले में स्थित चंद्रनाथ पर्वत के शिखर पर देवी सती की दायीं भुजा गिरी थी। इसे मां भवानी रूप में पूजा जाता है।
सुनंदा शक्तिपीठ: बांग्लादेश के बरिसल जिले में स्थित शिकारपुर में देवी सती की नाक गिरी थी। इस स्थान पर मां सुनंदा रूप में पूजा जाती हैं।
श्रीशैल महालक्ष्मी शक्तिपीठ: बांग्लादेश के सिलहट जिले में देवी सती का गला गिरा था। इस स्थान पर मां महालक्ष्मी के रूप में पूजा होती है।
यशोरेश्वरी माता शक्तिपीठ: बांग्लादेश के खुलना जिले के यशोर क्षेत्र में देवी सती की बाईं हथेली गिरी थी। यहां पर माता रानी यशोरेश्वरी रूप में पूजा जाती है।
अर्पण शक्तिपीठ: भवानीपुर गांव में देवी सती के बाएं पैर की पायल गिरी थी। यहां देवी मां का अर्पण रूप पूजा जाता है।
देवी जयंती शक्तिपीठ: बांग्लादेश के जयंतिया परगना में देवी सती की बाईं जांघ गिरी थी। यहां माता रानी की देवी जयंती के रूप में पूजा होती है।
किरीटेश्वरी शक्तिपीठ: मुर्शिदाबाद जिले के किरीटकोण ग्राम में देवी सती का मुकुट गिरा था। यहां देवी मां के विमला रूप की पूजा होती है।
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