​​​​​​​Sharadiya Navratri 2025: नवरात्रि के नौ रंग और उनका देवी स्वरूपों से संबंध

खबर सार :-
नवरात्रि में हर दिन का एक विशेष रंग होता है, जो देवी के गुणों से जुड़ा होता है। जब हम इन रंगों के साथ पूजा करते हैं, तो न केवल शरीर, बल्कि मन भी देवी के आशीर्वाद से सजता है। इस बार, शारदीय नवरात्रि में आप भी रंगों के साथ अपने मन और जीवन को देवी की कृपा से रंगीन करें।

​​​​​​​Sharadiya Navratri 2025: नवरात्रि के नौ रंग और उनका देवी स्वरूपों से संबंध
खबर विस्तार : -

Sharadiya Navratri 2025: भारत में सृष्टि को देवी या शक्ति के स्वरूप में देखा जाता है, विशेषकर शक्तिवाद परंपरा में, जहाँ ब्रह्मांड की सर्वोच्च सत्ता को एक 'शक्ति' के रूप में माना जाता है। यह शक्ति स्त्री ऊर्जा का अवतार है। यह अवधारणा वेदों से जुड़ी है और महिलाओं को समाज में शक्ति, सृजन और पोषण का प्रतीक माना जाता है, जो विभिन्न देवियों जैसे दुर्गा, काली और पार्वती में प्रकट होती हैं। इसलिए हिन्दू धर्म में नवरात्रि का पर्व बहुत ही आस्था और विश्वास के साथ मनाया जाता है। 

दरअसल, नवरात्रि सिर्फ व्रत और पूजा का पर्व नहीं है, बल्कि यह आत्मा के रंगों को देवी के रूप में देखने और उन्हें अपने जीवन में उतारने का समय भी है। हर दिन एक देवी, हर देवी एक भाव और हर भाव का एक रंग—यही है 'रंगों वाली नवरात्रि' की असली आत्मा। हालांकि धार्मिक ग्रंथों में इसके बारे में खास उल्लेख नहीं मिलता, लेकिन भक्त अपनी आस्था और मां के गुणों के अनुसार इस परंपरा को जीते हैं। आइए जानते हैं कि नवरात्रि के प्रत्येक दिन किस देवी की पूजा होती है और उनके साथ कौन सा रंग जुड़ा है।

1. शैलपुत्री (प्रतिपदा)

नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा होती है, जो पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं। यह देवी स्थिरता, शक्ति और नए आरंभ की प्रतीक हैं। इस दिन का रंग पीला है, जो जीवन में उत्साह, ऊर्जा और सकारात्मकता का संचार करता है। जैसे सूरज की पहली किरण सुबह को नया उजाला देती है, वैसे ही पीला रंग हमारे भीतर नई ऊर्जा का संचार करता है।

2. ब्रह्मचारिणी (द्वितीया)

दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन होता है, जो तप, संयम और साधना की देवी मानी जाती हैं। उनका जीवन समर्पण और आत्मिक साधना का है, और इस दिन का रंग हरा होता है। हरा रंग शांति, संतुलन और आत्मसंयम का प्रतीक है, जो ब्रह्मचारिणी के गुणों से मेल खाता है।

3. चंद्रघंटा (तृतीया)

तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा होती है, जिनके मस्तक पर घंटे के आकार का अर्धचंद्र है। उनका रंग स्लेटी या ग्रे होता है, जो संतुलन, शांति और सौम्यता का प्रतीक है। मां चंद्रघंटा शक्तिशाली और शांतिपूर्ण हैं, और यह रंग उनकी सभी गुणों को दर्शाता है।

4. कूष्मांडा (चतुर्थी)

चौथे दिन मां कूष्मांडा की पूजा होती है, जिन्हें ब्रह्मांड की रचयिता माना जाता है। उनके गुणों से नारंगी रंग मेल खाता है, जो सृजन और शक्ति का प्रतीक है। यह रंग आत्मविश्वास, क्रिएटिविटी और ऊर्जावान जीवन का प्रतिनिधित्व करता है।

5. स्कंदमाता (पंचमी)

पाँचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा होती है, जो ममता और करुणा की देवी हैं। सफेद रंग इस दिन का प्रतीक है, जो पवित्रता और सरलता का प्रतिनिधित्व करता है। यह रंग शांति, ममता और निर्विघ्नता का आभास कराता है, जैसे मां की ममता।

6. कात्यायनी (षष्ठी)

षष्ठी के दिन देवी कात्यायनी की पूजा होती है, जो साहस, प्रेम और वीरता की प्रतीक हैं। उनका रंग लाल होता है, जो शक्ति, प्रेम और वीरता का प्रतीक है। लाल रंग कात्यायनी के बल और साहस को दर्शाता है।

7. कालरात्रि (सप्तमी)

सप्तमी को कालरात्रि की पूजा होती है, जो अंधकार और भय के विनाश की देवी हैं। इस दिन का रंग नीला होता है, जो सुरक्षा और गहरे रहस्यों का प्रतीक है। गहरा नीला रंग आंतरिक शक्ति और सुरक्षा का प्रतिनिधित्व करता है।

8. महागौरी (अष्टमी)

अष्टमी के दिन मां महागौरी की पूजा होती है, जो सौम्यता और पवित्रता की देवी हैं। गुलाबी रंग इस दिन का प्रतीक होता है, जो करुणा, स्नेह और स्त्रीत्व का रंग है। गुलाबी रंग कोमलता और कृपा का प्रतिनिधित्व करता है।

9. सिद्धिदात्री (नवमी)

नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है, जो सिद्धियों की देवी मानी जाती हैं। बैंगनी रंग इस दिन का रंग है, जो आध्यात्मिकता, वैभव और ज्ञान का प्रतीक है। यह रंग सिद्धि और ज्ञान की प्राप्ति का प्रतीक है।

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