नई दिल्लीः हिंदू धर्म में नवरात्रि शक्ति स्वरूपा स्त्री के सम्मान में मनाया जाने वाला नौ दिवसीय उत्सव है। "नवरात्रि" शब्द संस्कृत के दो शब्दों नव और रात्रि से मिलकर बना है, जिसमें नव का अर्थ नौ और रात्रि का अर्थ रातें होता है। यह उत्सव नौ रातों और दस दिनों तक चलता है। नवरात्रि देवी दुर्गा के विभिन्न नौ रूपों को समर्पित है , जिनमें से प्रत्येक शक्ति, ज्ञान, साहस, भक्ति और सुरक्षा जैसे विभिन्न गुणों का प्रतीक है। नवरात्रि का पर्व केवल धार्मिक आस्था और शक्ति की साधना का समय नहीं है, बल्कि यह शरीर को शुद्ध करने और पाचन तंत्र को विश्राम देने का अवसर भी है। उपवास के दौरान सात्विक आहार का सेवन करने से शरीर हल्का रहता है और मन एकाग्र होता है।
आयुर्वेद के अनुसार, नवरात्रि में व्रत रहना अत्यंत लाभकारी होता है, लेकिन कुछ लोग अपनी डाइट का ध्यान नहीं देते हैं, जिसकी वजह से उन्हें कमजोरी का सामना करना पड़ता है। व्रत रहने के दौरान व्रतधारी को ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए जो ऊर्जा बनाए रखें और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालें। नवरात्रि व्रत में कई प्रकार के पौष्टिक और सात्विक खाद्य पदार्थ खाए जाते हैं जो न केवल स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं बल्कि शरीर और मन को स्फूर्ति भी प्रदान करते हैं।
सिंघाड़े का आटा उपवास में सबसे लोकप्रिय विकल्प है। इसमें कैल्शियम, आयरन और फास्फोरस प्रचुर मात्रा में होता है, जो हड्डियों और पाचन के लिए बेहद लाभकारी है। इससे हलवा, पुरी या चीला बनाया जा सकता है। इसी तरह कुट्टू का आटा, जिसे बकव्हीट भी कहा जाता है, ग्लूटेन-फ्री और प्रोटीन से भरपूर होता है। इससे लंबे समय तक पेट भरा हुआ महसूस होता है और ऊर्जा बनी रहती है। व्रत में कुट्टू की पकौड़ी और रोटी बहुत पसंद की जाती है।
साबूदाना भी उपवास का अहम हिस्सा है। इसमें कार्बोहाइड्रेट भरपूर मात्रा में होता है, जो तुरंत ऊर्जा देता है। इसमें मौजूद स्टार्च और कैल्शियम शरीर को मजबूत बनाते हैं। साबूदाने की खिचड़ी और खीर व्रत में बेस्ट मानी जाती है।
शकरकंद यानी स्वीट पोटैटो भी व्रत में ऊर्जा से भरपूर भोजन है। इसमें विटामिन ए, सी और फाइबर प्रचुर मात्रा में होते हैं, जो लंबे समय तक पेट भरा रखते हैं। इसे उबालकर या भूनकर खाया जा सकता है।
नारियल पानी और उसका गूदा भी उपवास के दौरान बेहद उपयोगी है। यह प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट्स और मिनरल्स का स्रोत है, जो शरीर को डिहाइड्रेशन से बचाते हैं और पाचन को संतुलित रखते हैं।
दूध और दही व्रत के दौरान कैल्शियम, प्रोटीन और प्रोबायोटिक्स प्रदान करते हैं। ये शरीर को कमजोरी और थकान से बचाते हैं। दही में सेंधा नमक डालकर या लस्सी के रूप में इसका सेवन किया जा सकता है। इसके साथ ही मेवे जैसे बादाम, काजू, अखरोट और किशमिश ऊर्जा और ओमेगा-3 फैटी एसिड्स से भरपूर होते हैं। ये मानसिक एकाग्रता और स्टेमिना को बनाए रखने में मदद करते हैं।
फल भी व्रत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। मौसमी फल जैसे सेब, पपीता, केला, अमरूद और अनार विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सीडेंट्स प्रदान करते हैं। ये शरीर को हल्का रखते हैं और डिटॉक्सिफिकेशन में सहायक होते हैं।
तुलसी और अदरक वाली हर्बल चाय भी पाचन सुधारती है और सर्दी-जुकाम से बचाती है। इसमें चीनी की जगह शहद मिलाना बेहतर है।
उपवास में सेंधा नमक का भी सेवन किया जाता है, जिसमें आयोडीन, कैल्शियम और पोटैशियम होता है, जिससे बना भोजन हल्का और सुपाच्य रहता है।
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