आज होगा हरि-हर मिलन, सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौपेंगे भोलेनाथ

खबर सार :-
हरि-हर मिलन वह दिन है जब भगवान विष्णु और भगवान शिव की एक साथ पूजा की जाती है। हरि-हर मिलन का पर्व विशेष रूप से उज्जैन में मनाया जाता है। मान्यता है कि इस दिन बाबा महाकाल गोपाल मंदिर में भगवान विष्णु से मिलने आते हैं और उन्हें सृष्टि का संचालन करने का दायित्व सौंपते हैं।

आज होगा हरि-हर मिलन, सृष्टि का भार भगवान विष्णु को सौपेंगे भोलेनाथ
खबर विस्तार : -

भोपाल: विश्व प्रसिद्ध ज्योतिर्लिंग भगवान महाकालेश्वर की नगरी उज्जैन आज रात हरि-हर मिलन के अद्भुत नजारे की साक्षी बनेगी। यहां वैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर भगवान महाकाल की रजत पालकी गुदरी चौराहा और पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुंचेगी, जहां हरि (भगवान विष्णु) और हर (भगवान शिव) के मिलन की परंपरा निभाई जाएगी। मान्यता है कि इसी दिन भगवान महाकाल सृष्टि का कार्यभार श्री हरि विष्णु को सौंपते हैं। हजारों श्रद्धालु विशेष पूजा-अर्चना के साथ इस अनूठे मिलन के साक्षी बनेंगे।

आतिशबाजी और हिंगोट रॉकेट पर प्रतिबंध

प्रशासन ने सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। पूरे मार्ग पर सीसीटीवी, बैरिकेड्स और दमकल की गाड़ियां तैनात हैं। इस बीच, उज्जैन कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 163 (1) के तहत एक आदेश जारी कर भगवान महाकालेश्वर के हरिहर मिलन (वैकुंठ चतुर्दशी समारोह) के दौरान आतिशबाजी और हिंगोट रॉकेट के उपयोग और प्रज्वलन के साथ-साथ हिंगोट/रॉकेट के निर्माण, बिक्री और रखरखाव पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया है।

कैलाश पर्वत लौटते हैं भगवान शिव

पुराणों के अनुसार, देव शयनी एकादशी से भगवान विष्णु चार महीने के लिए राजा बलि के पास विश्राम करने के लिए पाताल लोक चले जाते हैं। उस समय शिव पृथ्वी पर शासन करते हैं। फिर, जब देव उठनी एकादशी पर विष्णु जागते हैं, तो शिव तपस्या करने के लिए कैलाश पर्वत पर लौट आते हैं। इस परंपरा को हरि-हर कहा जाता है।

यह परंपरा मध्य प्रदेश के उज्जैन में प्रतिवर्ष मनाई जाती है। इस बार भी, वैकुंठ चतुर्दशी पर, सोमवार को रात 11 बजे महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में विशेष पूजा के बाद बाबा महाकाल की रजत पालकी यात्रा शुरू होगी। शोभायात्रा गुदरी चौराहा और पटनी बाजार होते हुए गोपाल मंदिर पहुँचेगी। गोपाल मंदिर में भगवान हरि की विशेष पूजा की जाएगी। महाकाल के पुजारी श्री हरि को बिल्वपत्रों की माला अर्पित करेंगे, जबकि गोपाल मंदिर के पुजारी महाकाल को तुलसी की माला अर्पित करेंगे। इस प्रतीकात्मक क्षण में, भगवान शिव, ब्रह्माण्ड का कार्यभार विष्णु को सौंपते हैं।

प्रशासन ने पूरी की तैयारी

महाकालेश्वर मंदिर समिति के प्रशासक प्रथम कौशिक ने बताया कि हरि-हर मिलन की सभी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। शोभायात्रा मार्ग पर साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था, बैरिकेडिंग और भीड़ नियंत्रण के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा ने बताया कि शोभायात्रा मार्ग पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। दमकल गाड़ियाँ तैनात हैं और प्रतिबंधित आतिशबाजी या हिंगोट फेंकने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हरि-हर मिलन देखने के लिए हर साल हज़ारों श्रद्धालु उज्जैन आते हैं। भक्त सड़कों पर दीप जलाकर और पुष्प वर्षा करके बाबा का स्वागत करते हैं। यह दृश्य महज एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है, बल्कि सृजन और पोषण की शक्तियों का अनूठा संगम है।

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