Kharna Chhath Puja 2025: लोक-आस्था का महापर्व छठ पूजा नहाय-खाय के साथ शनिवार से शुरू हो गया है। चार दिवसीय यह पर्व न सिर्फ देश और दुनिया भर में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जा रहा है। चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व को भारतीय संस्कृति का सबसे अनुशासित और पवित्र पर्व माना जाता है। महापर्व छठ का आज यानी रविवार को दूसरा दिन है। दूसरे दिन खरना (Kharna) पूजा की जाती है, जिसके बाद अगले दो दिनों तक अलग-अलग समय पर सूर्य देव को अर्घ्य देने की परंपरा है। आइए जानते हैं खरना की पूजा विधि और महत्व के बारे में....
छठ का दूसरा दिन खरना श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। खरना का दिन छठ पर्व में बहुत खास माना जाता है, क्योंकि इसी दिन से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है। यह दिन शारीरिक और मानसिक पवित्रता पाने का प्रतीक माना जाता है। खरना के दिन भक्त अपने मन, विचारों और कर्मों को शुद्ध करने की कोशिश करते हैं ताकि वे आगे आने वाले कठिन व्रत के लिए पूरी तरह से तैयार हो सकें। इस दिन बनाया गया प्रसाद परिवार और दूसरों के साथ बांटा जाता है। इस दिन व्रती मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर और रोटी तैयार करते हैं और उन्हें भोग के रूप में सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित करते हैं।
खरना (Kharna) के दिन सूर्योदय से पहले स्नान करें और आध्यात्मिक पवित्रता पाने का संकल्प लें। पूरे दिन सूर्य देव और छठी मैया का ध्यान करते हुए निर्जला व्रत रखें। शाम की पूजा से पहले पूजा की जगह को साफ करें। सूर्यास्त के बाद प्रसाद बनाएं। आमतौर पर गुड़ की खीर या दूध और चावल से बनी खीर बनाई जाती है। गेहूं के आटे की रोटियां या पूरियां भी बनाई जाती हैं। प्रसाद में केले भी शामिल किए जाते हैं। प्रसाद बनाने के बाद सूर्य देव और छठी माता की पूजा करें। फिर, मंत्रों का जाप करते हुए, सबसे पहले सूर्य देव को और फिर छठी मैया को प्रसाद चढ़ाएं।
खरना (Kharna) के दिन गुड़ की खीर बनाने की परंपरा है। यह प्रसाद चावल, दूध और गुड़ से बनाया जाता है। इसके साथ ही गेहूं के आटे से बनी रोटियां या पूरियां भी बनाई जाती हैं। यह प्रसाद केले के पत्ते पर रखकर भगवान सूर्य देव और छठी मैया को अर्पित किया जाता है। उसके बाद भक्त इसे खाते हैं। इस प्रसाद को खाने के बाद ही 36 घंटे का कठिन निर्जला व्रत शुरू होता है।
गौरतलब है कि लोक-आस्था का महापर्व नहाय-खाय के साथ शुरू होता है और फिर खरना, उसके बाद संध्या अर्घ्य और अंत में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य के साथ इस पर्व का समापन होता है। सूर्य उपासना का यह अनूठा पर्व आस्था का प्रतीक है। छठ पूजा की इस पावन शुरुआत पर पूरा देश भक्ति, उत्साह और एकता की भावना से ओतप्रोत नजर आ रहा है।
25 अक्टूबर 2025- पहला दिन (नहाय खाय)
26 अक्टूबर 2025- दूसरा दिन (खरना)
27 अक्टूबर 2025- तीसरा दिन (संध्या अर्घ्य )
28 अक्टूबर 2025- चौथा दिन (सूर्योदय अर्घ्य)
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