मुंबईः मुंबई की सड़कों से लेकर उसके मंदिरों तक, गणेश चतुर्थी का उत्सव हर वर्ष एक नई ऊर्जा के साथ मनाया जाता है। इस दौरान ढोल-ताशों की गूंज और भक्तों के जयघोष से हर गली और मोहल्ला गूंज उठता है। मुंबई में हर एक गणेश पंडाल की अपनी विशेषता होती है, लेकिन लालबागचा राजा का नाम विशेष रूप से लिया जाता है। यह मंदिर न केवल मुंबई के सबसे प्रसिद्ध गणेश पंडालों में से एक है, बल्कि यह हर साल लाखों भक्तों की आस्था और विश्वास का केंद्र भी बनता है।
लालबागचा राजा, मुंबई के परेल क्षेत्र में स्थित एक सार्वजनिक गणेश पंडाल है जो 91 वर्षों से हर साल भक्तों की एक विशाल भीड़ को आकर्षित करता है। इस मंदिर का इतिहास भी अत्यंत दिलचस्प है। 1934 में कुछ मछुआरों और दुकानदारों ने मिलकर गणेश जी से अपने व्यापार के लिए एक स्थिर स्थान की मन्नत मांगी थी। जब उनकी यह मन्नत पूरी हुई, तो उन्होंने एक छोटी सी गणेश मूर्ति स्थापित की थी। यही शुरुआत थी, और आज यह पंडाल गणेश चतुर्थी के सबसे बड़े आयोजनों में से एक बन चुका है।
लालबागचा राजा की मान्यता इतनी मजबूत है कि लोग दूर-दूर से अपनी मुरादें पूरी करने के लिए यहां आते हैं। भक्तों का मानना है कि इस गणपति से जो भी सच्चे दिल से प्रार्थना करता है, उसकी मन्नत जरूर पूरी होती है। इसे 'मन्नतों का राजा' भी कहा जाता है। यही कारण है कि हर साल यहां लाखों श्रद्धालु आते हैं, और इस बार भी 22 फीट ऊंची गणेश मूर्ति की स्थापना की गई है। यह मूर्ति रामेश्वरम की पौराणिक कथा से प्रेरित है, जिसमें हनुमानजी भगवान शिव का पिंड लेकर आते हैं। इस विशेष सजावट ने इस बार पंडाल को और भी भव्य बना दिया है। लालबागचा राजा के मंडल के उपाध्यक्ष, सिद्धेश कोरगावकर ने कहा, यह मंदिर लालबाग इलाके का सबसे पुराना गणेश पंडाल है और इस बार रामेश्वरम की थीम पर आधारित मूर्ति स्थापित की गई है।
लालबागचा राजा के दर्शन के लिए भक्तों के लिए दो प्रमुख कतारें होती हैं: एक 'नवसाची लाइन', जिसमें वे लोग होते हैं जो किसी विशेष मन्नत के लिए बप्पा के दर्शन करने आते हैं। इस लाइन में भक्तों को दर्शन के लिए 25 से 40 घंटे तक का समय भी लग सकता है। दूसरी लाइन है 'मुखदर्शन लाइन', जिसमें लोग दूर से भगवान गणेश के दर्शन कर सकते हैं। यहां प्रतीक्षा का समय सामान्यतः 4 से 5 घंटे तक होता है।
लालबागचा मंदिर और आस-पास के क्षेत्रों में सुरक्षा की दृष्टि से भी इस बार कड़ी व्यवस्थाएँ की गई हैं। पंडाल में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और हजारों पुलिसकर्मी और स्वयंसेवक तैनात किए गए हैं। इसके अलावा, श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मेडिकल असिस्टेंस, पानी की व्यवस्था और शौचालय भी लगाए गए हैं ताकि लोग किसी भी प्रकार की असुविधा से बच सकें।
गणेश चतुर्थी के इस महापर्व पर लालबागचा राजा का महत्व और भी बढ़ जाता है। हर साल इसकी भव्यता और श्रद्धा का स्तर नई ऊँचाइयों तक पहुँचता है। अब यह पंडाल एक धार्मिक और सांस्कृतिक स्थल के रूप में स्थापित हो चुका है, जहाँ लोग केवल दर्शन करने के लिए ही नहीं, बल्कि अपने दिल की इच्छाओं को पूरा करने के लिए भी आते हैं।
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