काठगोदाम से रवाना हुए श्रृद्धालु, रजिस्ट्रेशन के बाद मौका मिला

खबर सार : -
तीर्थ स्थलों में आदि कैलाश के दर्शन को काफी महत्वपूर्ण माना है। इस यात्रा का वर्णन तमाम ग्रंथों में भी मिलता है।

खबर विस्तार : -

लखनऊ, आदि कैलाश और ओम पर्वत की यात्रा आज से शुरू हो गई है। निगम ने लोगों के रहने, खाने के साथ ही भक्तों को आवागमन के उचित संसाधनों की व्यवस्था की है। 102 श्रद्धालुओं ने अब तक इस साल की यात्रा के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है। श्रद्धालुओं का पहला जत्था आज काठगोदाम से निकला। कैलाश और ओम पर्वत यात्रा सकुशल संपन्न कराना उत्तराखंड सरकार के लिए चुनौती भरा होता है। हालांकि, इसकी शुरूआत आज से हो गई है। कई महीनों से इसकी तैयारियां चल रही थी।

दिनांक 14 मई तक 102 श्रद्धालुओं ने यात्रा का रजिस्ट्रेशन कराया था। बुधवार की सुबह से ही पहला जत्था हल्द्वानी काठगोदाम से रवाना हुआ। इस यात्रा का उत्साह लखनऊ तक देखा गया। लखनऊ में रजिस्ट्रेशन के लिए मेडिकल कराने वालों को अस्पतालों में औपचारिकताएं पूरी करनी पड़ी। भक्तों ने उत्तराखंड में नैनीताल, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ के कई मंदिरों में दर्शन किया। इसके बाद वह आगे के लिए निकले। भक्तों के लिए धारचूला में पहला आधार शिविर लगाया गया है। यात्रा के हर दिन का टाइम और वहां रूकने का समय भी निर्धारित किया गया है। श्रद्धालु धारचुला से गुंजी तीसरे दिन पहुंचेंगे, जबकि चौथे दिन नाबी-कुटी से होते हुए नाभीढांग और फिर ओम पर्वत के दर्शन करने का सौभाग्य मिलेगा। श्रद्धालुओं को उनकी धार्मिक यात्रा में गणेश पर्वत, व्यास गुफा, नाग पर्वत, नाबी पर्वत और कालापानी में काली मंदिर पहुंचने का मौका मिलेगा। 

श्रद्धालु नाभीढांग में ओम पर्वत के भी दर्शन करेंगे। कुमाऊं मंडल विकास निगम ने यात्रियों के आवागमन की तैयारी की है। कई स्वयंसेवी लोग भी इनके स्वागत में डटे रहे। पहले दिन यात्रा काठगोदाम से शेड्यूल के अनुसार शुरू हुई और भीमताल के लिए निकली। यह यात्रा जागेश्वर होते हुए पिथोरागढ़ पहुंची। इसके दूसरे दिन पिथौरागढ़ से यह यात्रा शुरू होगी। कुछ 96 किमी की दूरी पूरी करने के बाद भक्त धालचूला पहुंचेंगे। श्रद्धालुओं का दल गुंजी से ज्योलीकांग पांचवें दिन पहुंचेगा। आदि कैलाश के दर्शन को काफी महत्वपूर्ण बताया गया है। कहा गया है कि इसका वर्णन तमाम ग्रंथों में भी है। 

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