Jitiya Vrat Katha: हिंदू धर्म और सनातन परंपरा में जितिया पर्व (जितमिया व्रत) का विशेष महत्व है। जितिया व्रत हिंदू धर्म में सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। यह पर्व विशेष रूप से माताएं अपनी संतान की दीर्घायु, सुख, समृद्धि और कल्याण के लिए मनाती हैं। जिस प्रकार विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए हरितालिका तीज का कठोर व्रत रखती हैं, उसी प्रकार माताएं अपनी संतान की रक्षा और जीवन में आने वाली हर विपत्ति को दूर करने के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। माताएं इस दिन निर्जला व्रत रखकर जीमूतवाहन देव की पूजा करती हैं।
यह व्रत हर साल आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रखा जाता है। इसे जीवित्पुत्रिका या जिउतिया व्रत के नाम से भी जाना जाता है। परंपरा के अनुसार, इस व्रत में चील और सियारिन की कथा सुनना आवश्यक माना जाता है। यह पर्व बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, नेपाल और पूर्वी भारत के कई हिस्सों में बड़ी आस्था और भक्ति के साथ मनाया जाता है।
जितिया व्रत 13 सितंबर को नहाय-खाय के साथ शुरू होगा। इसके बाद, माताएँ 14 सितंबर को जीवित्पुत्रिका व्रत रखेंगी और 15 सितंबर को व्रत का पारण किया जाएगा। व्रत 14 सितंबर को सुबह 8:51 बजे शुरू होगा और 15 सितंबर को सुबह 5:36 बजे समाप्त होगा। रविवार को सूर्योदय से पहले महिलाएँ ओठगन करेंगी। इसके बाद, सोमवार को सुबह 6:27 बजे के बाद व्रत का पारण किया जाएगा।
इस व्रत में महिलाएं पूरे दिन बिना अन्न-जल ग्रहण करती हैं और शाम को मिट्टी या गोबर से बने जीमूतवाहन देवता और जितिया माता की पूजा करती हैं। जीमूतवाहन वही पौराणिक पात्र हैं जिन्होंने एक सर्प शिशु की रक्षा के लिए अपने प्राणों की परवाह नहीं की थी। इस व्रत में पूजा के साथ जितिया व्रत कथा का पाठ भी किया जाता है, जो अनिवार्य है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार जंगल में रहने वाले चील और सियारिन ने इस व्रत को रखने का संकल्प लिया। चील ने पूरे नियम से व्रत रखा, लेकिन सियारिन ने भूख से व्याकुल होकर रात में भोजन कर लिया। व्रत समाप्त होने के बाद धर्मराज प्रकट हुए और दोनों के आचरण के अनुसार फल बताया। उन्होंने कहा कि नियमित रूप से व्रत रखने वाले चील को इसका पुण्य मिलेगा, जबकि सियारिन को कोई फल नहीं मिलेगा। परिणामस्वरूप, सियारिन की संतान लंबी आयु और सुखी व समृद्ध जीवन प्राप्त करती है, जबकि सियारिन की संतान अल्पायु और कष्टमय जीवन जीती है। हालांकि चील के बताने पर सियारिन को अपने व्रत का महत्व समझ आता है और वह विधि-विधान से व्रत करती है, जिसके बाद उसके भी बच्चे स्वस्थ रहने लगे।
यह कथा हमें सिखाती है कि व्रत केवल एक परंपरा नहीं है, बल्कि इसे श्रद्धा, संयम और नियमों के साथ किया जाना चाहिए। जिस प्रकार चील ने कठिन परिस्थितियों में भी व्रत नहीं तोड़ा, उसी प्रकार माताओं को धैर्य और विश्वास के साथ व्रत करना चाहिए। तभी व्रत का फल संतान की लंबी आयु और सुख-समृद्धि के रूप में प्राप्त होता है। ऐसे में इस कथा का महत्व यह है कि इस व्रत को सदैव श्रद्धापूर्वक करना चाहिए। तभी व्रत का फल संतान के लिए लाभकारी होगा। ऐसे में जितिया व्रत में पूजा के दौरान चील और सियारिन की कथा सुनना अनिवार्य माना जाता है।
Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गई है। हम यह जानकारी आप तक पहुँचाने का एक माध्यम मात्र हैं। उपयोगकर्ता इस जानकारी को केवल सूचना के रूप में ही लें।
अन्य प्रमुख खबरें
Aaj Ka Rashifal 14 September 2025: इन राशियों को आज होगा आर्थिक लाभ, जानें कैसा रहेगा आपका दिन
Panchang 14 September 2025: रविवार 14 सितंबर 2025 का पंचांग, जानें विशेष पर्व एवं राहुकाल
Aaj Ka Rashifal 13 September 2025: इन राशियों को आज होगा आर्थिक लाभ, जानें कैसा रहेगा आपका दिन
Panchang 13 September 2025: शनिवार 13 सितंबर 2025 का पंचांग, जानें विशेष पर्व एवं राहुकाल
Aaj Ka Rashifal 12 September 2025: इन राशियों को आज होगा आर्थिक लाभ, जानें कैसा रहेगा आपका दिन
Panchang 12 September 2025: शुक्रवार 12 सितंबर 2025 का पंचांग, जानें विशेष पर्व एवं राहुकाल
Aaj Ka Rashifal 11 September 2025: इन राशियों को आज होगा आर्थिक लाभ, जानें कैसा रहेगा आपका दिन
Panchang 11 September 2025: गुरुवार 11 सितंबर 2025 का पंचांग, जानें विशेष पर्व एवं राहुकाल
Aaj Ka Rashifal 10 September 2025: इन राशियों को आज होगा आर्थिक लाभ, जानें कैसा रहेगा आपका दिन
Panchang 10 September 2025: बुधवार 10 सितंबर 2025 का पंचांग, जानें विशेष पर्व एवं राहुकाल
Aaj Ka Rashifal 9 September 2025: इन राशियों को आज होगा आर्थिक लाभ, जानें कैसा रहेगा आपका दिन
Panchang 9 September 2025: मंगलवार 9 सितंबर 2025 का पंचांग, जानें विशेष पर्व एवं राहुकाल
Aaj Ka Rashifal 8 September 2025: इन राशियों को आज होगा आर्थिक लाभ, जानें कैसा रहेगा आपका दिन
Panchang 8 September 2025: सोमवार 8 सितंबर 2025 का पंचांग, जानें विशेष पर्व एवं राहुकाल