Tulsi Vivah 2025 : गोपाष्टमी का शुभ पर्व हर साल कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। यह त्योहार पशुओं की रक्षा और गायों की सेवा को समर्पित है। माना जाता है कि इस दिन भगवान कृष्ण ने गौ वंश की रक्षा का संकल्प लिया था और लोगों को गायों की सेवा का महत्व भी बताया था। इसके साथ ही आज से भागवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की तैयारियां भी शुरू हो गई हैं और प्रयागराज में यमुना घाट पर महिलाओं ने शादी से पहले की रस्में शुरू कर दी हैं।
प्रयागराज में गोपाष्टमी के शुभ दिन से भगवान शालिग्राम और तुलसी के विवाह की तैयारियां शुरू हो गई हैं। महिला भक्तों ने सबसे पहले प्रयागराज में यमुना नदी में स्नान किया और फिर बाल गोपाल (भगवान कृष्ण के बचपन का रूप) की मूर्ति को झूले में झुलाकर और भक्ति गीत गाकर पूजा-अर्चना की। दरअसल गोपाष्टमी से ही शालिग्राम और तुलसी के विवाह की रस्में शुरू होती हैं। इस दिन ठाकुर जी (भगवान कृष्ण) को तिलक लगाते हैं, उन्हें दही, दूध, घी और मक्खन से स्नान कराते हैं और शादी की रस्मों की तैयारी में पूजा करते हैं।
गौरतलब है कि शादी की तैयारियां देवउठनी एकादशी तक चलेंगी और इस एकादशी के बाद द्वादशी (बारहवें दिन) को भगवान शालिग्राम और तुलसी का विवाह होता है। देवउठनी एकादशी पर भगवान विष्णु अपनी चार महीने की नींद से जागते हैं और भक्त उन्हें जगाने के लिए विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इस दिन घरों को केसरिया रंग से सजाया जाता है और भगवान विष्णु की मूर्ति बनाई जाती है। सनातन धर्म में तुलसी विवाह का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन तुलसी और शालिग्राम का विवाह करने से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है।
गौरतलब है कि इस साल देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी, और देश भर के सभी मंदिरों में पूरी रात पूजा-अर्चना और प्रार्थनाएं होंगी। दरअसल गोपाष्टमी का त्योहार भगवान कृष्ण और गायों की भक्ति से जुड़ा है। कहा जाता है कि इसी दिन भगवान कृष्ण ने पहली बार गायें चराना शुरू किया था, और यह त्योहार गायों और बछड़ों के प्रति भक्ति का उत्सव है।
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष तुलसी विवाह 2 नवंबर 2025 को मनाया जाएगा। द्वादशी तिथि की शुरुआत सुबह 7 बजकर 31 मिनट पर होगी और इसका समापन 3 नवंबर की सुबह 5 बजकर 7 मिनट पर होगा। ऐसे में तुलसी विवाह का पर्व 2 नवंबर को मनाना शुभ रहेगा। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता तुलसी की पूजा कर उन्हें विवाह सूत्र में बांधा जाता है।
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