थिल्लई नटराज मंदिर: जहाँ महादेव का 'आकाशीय स्वरूप' दिखता है

खबर सार :-
थिल्लई नटराज मंदिर : तमिलनाडु के चिदंबरम स्थित थिल्लई नटराज मंदिर में भगवान शिव आकाश रूप में पूजे जाते हैं। 10वीं शताब्दी में चोल वंश द्वारा निर्मित यह मंदिर वैज्ञानिक दृष्टि से भी खास है, क्योंकि यह चुंबकीय भूमध्य रेखा के केंद्र में स्थित है। मंदिर की दीवारों पर नाट्य शास्त्र की 108 नृत्य मुद्राएँ उकेरी गई हैं। हर साल यहां नट्यांजलि नृत्योत्सव आयोजित होता है।

थिल्लई नटराज मंदिर: जहाँ महादेव का 'आकाशीय स्वरूप' दिखता है
खबर विस्तार : -

चिदंबरम, तमिलनाडु। सावन का पावन महीना चल रहा है और भारत भर में शिवभक्तों की आस्था अपने चरम पर है। इसी कड़ी में आज हम आपको ले चलते हैं तमिलनाडु के एक ऐसे अद्वितीय मंदिर में, जहाँ भगवान शिव 'नटराज' के रूप में नहीं, बल्कि आकाश स्वरूप में पूजे जाते हैं – चिदंबरम का थिल्लई नटराज मंदिर।

चिदंबरम नटराज मंदिर : 800 साल से भी पुराना इतिहास

तमिलनाडु के चिदंबरम में स्थित यह मंदिर चोल वंश की देन है, जिन्होंने इसे 10वीं शताब्दी में बनवाया था। यहाँ शिवजी नटराज (नृत्य करते हुए शिव) के रूप में विराजमान हैं। मान्यता है कि इस स्थान पर भगवान शिव ने तांडव नृत्य किया था, जिसके बाद यह मंदिर अस्तित्व में आया।

चिदंबरम नटराज मंदिर : चिदंबरम का रहस्य- आकाश ही शिवलिंग

अधिकतर शिवमंदिरों में भगवान शिव की पाषाण या धातु की मूर्ति होती है, लेकिन यहाँ शिवलिंग नहीं है। इसकी जगह "चिदंबरम रहस्य" (Chidambara Rahasyam) नामक एक पवित्र स्थान है, जहाँ शिव को आकाश स्वरूप (आकाश लिंगम) में पूजा जाता है। यहाँ एक विशेष पर्दे के पीछे शिव-पार्वती का दर्शन होता है।

चिदंबरम नटराज मंदिर : वैज्ञानिक अध्ययन- चुंबकीय केंद्र बिंदु

विज्ञान की दृष्टि से भी यह मंदिर अनोखा है। शोधकर्ताओं ने पाया कि नटराज मूर्ति का अंगूठा चुंबकीय भूमध्य रेखा (Magnetic Equator) के ठीक केंद्र में स्थित है। प्राचीन तमिल ग्रंथ "थिरुमंदिरम" में भी इसका उल्लेख 5000 साल पहले ही मिलता है, जो आज के वैज्ञानिकों को हैरान करता है।

चिदंबरम नटराज मंदिर : अन्य खासियतें

  • सोने से सजा मंदिर: छत पर 21,600 स्वर्ण पत्र और 72,000 सोने की कीलें लगी हैं, जो मानव शरीर की नाड़ियों का प्रतीक मानी जाती हैं।
  • 108 नृत्य मुद्राएँ: मंदिर की दीवारों पर नाट्य शास्त्र की 108 नृत्य मुद्राएँ उकेरी गई हैं, जो भरतनाट्यम की नींव हैं।
  • पाँच सभागार: कनक सभा, चित सभा, नृत्य सभा, देव सभा और राज सभा – ये सभी अलग-अलग धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखती हैं।

चिदंबरम नटराज मंदिर : पौराणिक कथा- शिव और पार्वती का नृत्य संग्राम

एक मान्यता के अनुसार, यहाँ भगवान विष्णु (गोविंदराज स्वामी) भी विराजमान हैं। कहा जाता है कि शिव और पार्वती के बीच नृत्य प्रतियोगिता हुई थी, जिसमें नारायण निर्णायक बने। शिव ने ऊर्ध्व तांडव मुद्रा में नृत्य किया, जिसे पार्वती नहीं दोहरा सकीं। विजयी होने के बाद शिव ने यहीं नटराज स्वरूप में निवास किया।

चिदंबरम नटराज मंदिर : विश्वप्रसिद्ध नट्यांजलि नृत्य महोत्सव

हर साल फरवरी-मार्च में यहाँ "नट्यांजलि उत्सव" होता है, जहाँ विश्वभर के कलाकार नटराज को नृत्य समर्पित करते हैं। यह उत्सव मंदिर की अनूठी कला-संस्कृति को जीवंत करता है।

कैसे पहुँचें?

  • हवाई मार्ग: पुदुचेरी हवाई अड्डा (60 किमी) या चेन्नई हवाई अड्डा (220 किमी)।
  • रेल मार्ग: चिदंबरम का अपना रेलवे स्टेशन है, जो प्रमुख शहरों से जुड़ा है।
  • सड़क मार्ग: तमिलनाडु के प्रमुख शहरों से बसें और टैक्सी उपलब्ध हैं।

अन्य प्रमुख खबरें