मानव विकास के इतिहास में एक नये अध्ययन चौंकाने वाला नतीजे सबके सामने रख दिया है। यह नया अध्ययन हमारे शरीर की संरचना में हो रहे परिवर्तनों को समझने में मदद करता है। इस शोध के निष्कर्षों से पता चलता है कि मनुष्य की पसलियों के आकार में बदलाव जलवायु परिवर्तन की देन है। यह बदलाव हमारे पूर्वजों के वातावरण के अनुकूल ढलने की क्षमता का प्रतीक है।
इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने कई प्राचीन मानव अवशेषों का बड़ी ही बारीकि से विश्लेषण किया। इन शोधकर्ताओं में से एक है ओत्जी द आइसमैन, जिसकी ममी आज से लगभग 5,000 साल पहले आल्प्स पर्वत श्रृंखला में मिली थी। ओत्जी के अलावा, शोधकर्ताओं ने मिस्र में पाए गए 30,000 साल पुराने नाजलेट खटर द्वितीय, इजराइल के 19,000 साल पुराने ओहालो द्वितीय होमो द्वितीय, और चेक गणराज्य में मिले 30,000 साल पुराने डोल्नी वेस्टोनिस 13 जीवाश्मों का भी बारीकि से अध्ययन किया।
कम्युनिकेशंस बायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित इस शोध इन अवशेषों के थ्रीडी मॉडल का तुलनात्मक अध्ययन 59 आधुनिक मनुष्यों, दो निएंडरथल, और एक होमो इरेक्टस जीवाश्म के साथ किया गया। शोध के परिणाम चौंकाने वाले थे।
शोध के अनुसार, प्राचीन होमो सेपियंस की पसलियों की संरचना आधुनिक मनुष्यों से मिलती-जुलती है। नाजलेट खटर द्वितीय, ओहालो द्वितीय होमो द्वितीय और डोल्नी वेस्टोनिस 13 जैसे जीवाश्मों में पसलियों की गोलाकार आकृति पाई गई। यह हमारी प्रजाति की एक साझा वक्षीय संरचना को दर्शाता है।
हालांकि, पसलियों के आकार में एक बड़ा अंतर जलवायु से जुड़ा हुआ नजर आता है। गर्म और समशीतोष्ण जलवायु में रहने वाले प्राचीन मनुष्यों, जैसे नाजलेट खटर द्वितीय और ओहालो द्वितीय होमो द्वितीय, की पसलियां छोटी और बेलनाकार थीं। वहीं, ठंडे वातावरण में रहने वाले डोल्नी वेस्टोनिस 13 की पसलियां बड़ी और चौड़ी थीं। यह अंतर शायद उनके पर्यावरण के अनुकूल ढलने की क्षमता का परिणाम रही होंगी।
ओत्जी की पसलियों का आकार इन दोनों प्रकारों के बीच पाया गया। यह संभवतः उनके ऊंचे पर्वतीय क्षेत्र में मौसमी तापमान परिवर्तनों के अनुकूल होने की क्षमता को दर्शा रहा है।
इस शोध का एक महत्वपूर्ण निष्कर्ष यह है कि होमो सेपियंस की पसलियां हमेशा निएंडरथल और होमो इरेक्टस की तुलना में कमजोर नहीं थीं। डोल्नी वेस्टोनिस 13 की पसलियां निएंडरथल के समान बड़ी और होमो इरेक्टस की तरह चौड़ी थीं। यह पुरानी धारणा को चुनौती देता है कि होमो सेपियंस की पसलियां कमजोर होती हैं।
साथ ही, यह शोध मानव शरीर में पाए जाने वाले रूपात्मक बदलावों की जटिलता को भी उजागर करता है। ये बदलाव सिर्फ आनुवंशिकी पर नहीं, बल्कि जलवायु संबंधी लचीलेपन पर भी निर्भर करते हैं।
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