Mohan Bhagwat : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत गुरुवार, 11 सितंबर को अपना 75वां जन्मदिन मना रहे हैं। वह 16 साल से ज़्यादा समय से RSS के प्रमुख हैं। मोहन भागवत के जन्मदिन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक खास पोस्ट किया है। पीएम मोदी (PM Modi) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, ''मोहन भागवत ने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र से प्रेरित होकर समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। मां भारती की सेवा में सदैव तत्पर मोहन भागवत के 75वें जन्मदिन के विशेष अवसर पर मैंने उनके प्रेरक व्यक्तित्व को लेकर अपनी भावनाएं रखी हैं। मैं उनके दीर्घायु एवं स्वस्थ जीवन की कामना करता हूं।
इसके साथ ही पीएम मोदी ने अपने आधिकारिक ब्लॉग से जुड़ा एक लिंक भी शेयर किया, जिसमें उन्होंने मोहन भागवत के लिए कई बातों का जिक्र किया। उन्होंने लिखा, "आज 11 सितंबर है। यह दिन अलग-अलग स्मृतियों से जुड़ा है। एक स्मृति 1893 की है, जब स्वामी विवेकानंद ने शिकागो में विश्वबंधुत्व का संदेश दिया और दूसरी स्मृति है 9/11 का आतंकी हमला, जब विश्व बंधुत्व को सबसे बड़ी चोट पहुंचाई गई। आज के दिन की एक और विशेष बात है।
आज एक ऐसे व्यक्तित्व का 75वां जन्मदिवस है, जिन्होंने वसुधैव कुटुंबकम के मंत्र पर चलते हुए समाज को संगठित करने, समता-समरसता और बंधुत्व की भावना को सशक्त करने में अपना पूरा जीवन समर्पित किया है। संघ परिवार में जिन्हें परम पूजनीय सरसंघचालक के रूप में श्रद्धाभाव से संबोधित किया जाता है, ऐसे आदरणीय मोहन भागवत का आज जन्मदिन है। उन्होंने कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि इसी साल संघ भी अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है। मैं मोहन भागवत को हार्दिक शुभकामनाएं देता हूं और प्रार्थना करता हूं कि ईश्वर उन्हें दीर्घायु और उत्तम स्वास्थ्य प्रदान करें।
पीएम मोदी ने लिखा, "मोहन भागवत जी के परिवार से मेरा बहुत गहरा रिश्ता रहा है। मुझे उनके पिता स्वर्गीय मधुकरराव भागवत के साथ मिलकर काम करने का सौभाग्य मिला। मैंने अपनी पुस्तक 'ज्योतिपुंज' में मधुकरराव के बारे में विस्तार से लिखा भी है।" युवाओं से मोहन भागवत के लगाव को रेखांकित करते हुए पीएम मोदी ने लिखा, "मोहन भागवत का युवाओं से सहज जुड़ाव है और इसलिए उन्होंने अधिक से अधिक युवाओं को संघ कार्य के लिए प्रेरित किया है। अगर हम व्यापक संदर्भ में देखते हैं तो संघ की 100 साल की यात्रा में भागवत जी का कार्यकाल संघ में सर्वाधिक परिवर्तन का कालखंड माना जाएगा।
पीएम मोदी ने लिखा, "मोहन भागवत ने उस समय प्रचारक की जिम्मेदारी संभाली जब तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने देश पर आपातकाल थोपा था। उस दौरान, एक प्रचारक के रूप में, उन्होंने आपातकाल विरोधी आंदोलन को लगातार मजबूत किया।" उन्होंने कई वर्षों तक महाराष्ट्र के ग्रामीण और पिछड़े इलाकों, विशेषकर विदर्भ में काम किया। 1990 के दशक में अखिल भारतीय शारीरिक प्रमुख के रूप में मोहन भागवत के कार्यों को आज भी कई स्वयंसेवक स्नेहपूर्वक याद करते हैं। 2009 में वे सरसंघचालक बने और आज भी अत्यंत ऊर्जा के साथ कार्य कर रहे हैं। भागवत जी ने राष्ट्र प्रथम की मूल विचारधारा को हमेशा सर्वोपरि रखा।"
उन्होंने लिखा, "सरसंघचालक होना मात्र एक संगठनात्मक जिम्मेदारी नहीं है। यह एक पवित्र विश्वास है, जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी दूरदर्शी व्यक्तित्वों ने आगे बढ़ाया है और इस राष्ट्र के नैतिक और सांस्कृतिक पथ को दिशा दी है। व्यक्तिगत त्याग, उद्देश्य की स्पष्टता और मां भारती के प्रति अटूट समर्पण के साथ निभाया है। यह गर्व की बात है कि मोहन भागवत ने न केवल इस विशाल जिम्मेदारी के साथ पूर्ण न्याय किया है, बल्कि इसमें अपनी व्यक्तिगत शक्ति, बौद्धिक गहराई और सहृदय नेतृत्व भी जोड़ा है।"
उन्होंने लिखा, "कोरोना काल में मोहन भागवत के प्रयास विशेष रूप से याद आते हैं। उस कठिन समय में उन्होंने स्वयंसेवकों को सुरक्षित रहते हुए समाजसेवा करने की दिशा दी और टेक्नोलॉजी का उपयोग बढ़ाने पर बल दिया। उनके मार्गदर्शन में स्वयंसेवकों ने जरूरतमंदों तक हरसंभव सहायता पहुंचाई, जगह-जगह मेडिकल कैंप लगाए। उन्होंने वैश्विक चुनौतियों और वैश्विक विचार को प्राथमिकता देते हुए व्यवस्थाओं को विकसित किया। हमें कई स्वयंसेवकों को खोना भी पड़ा, लेकिन मोहन भागवत की प्रेरणा ऐसी थी कि अन्य स्वयंसेवकों (RSS) की दृढ़ इच्छाशक्ति कमजोर नहीं पड़ी।"
उन्होंने लिखा, "मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) के स्वभाव की एक और बड़ी विशेषता यह है कि वे मृदुभाषी हैं। उनमें सुनने की अद्भुत क्षमता भी है। यह विशेषता न केवल उनके दृष्टिकोण को गहराई प्रदान करती है, बल्कि उनके व्यक्तित्व और नेतृत्व में संवेदनशीलता और गरिमा भी लाती है। वे सदैव 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के प्रबल समर्थक रहे हैं। भागवत जी भी उस महान परंपरा की एक सशक्त धुरी हैं।"
उन्होंने आगे लिखा, "हाल के दिनों में देश में जितने भी सफल जन आंदोलन हुए हैं, चाहे वह 'स्वच्छ भारत मिशन' हो या 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ', मोहन भागवत ने पूरे संघ परिवार को इन आंदोलनों में ऊर्जा भरने के लिए प्रेरित किया। मोहन जी आत्मनिर्भर भारत पर भी ज़ोर देते हैं।"
उन्होंने लिखा कुछ ही दिनों में विजयादशमी पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 100 वर्ष का हो जाएगा। यह भी सुखद संयोग है कि विजयादशमी का पर्व, गांधी जयंती, लाल बहादुर शास्त्री की जयंती और संघ का शताब्दी वर्ष एक ही दिन आ रहे हैं।" उन्होंने कहा कि यह भारत और विश्वभर के लाखों स्वयंसेवकों के लिए एक ऐतिहासिक अवसर है। हम स्वयंसेवकों का सौभाग्य है कि हमारे पास मोहन भागवत जी जैसे दूरदर्शी और परिश्रमी सरसंघचालक हैं, जो ऐसे समय में संगठन का नेतृत्व कर रहे हैं।
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