RBI Repo Rate Cut : भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले पर टिकी नजरें, रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट तक की कटौती संभव

खबर सार :-
RBI Repo Rate Cut: RBI रेपो रेट में 0.50% तक की कटौती कर सकता है, जिससे होम, ऑटो और पर्सनल लोन की EMI में राहत मिलने की उम्मीद है।

RBI Repo Rate Cut : भारतीय रिजर्व बैंक के फैसले पर टिकी नजरें, रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट तक की कटौती संभव
खबर विस्तार : -

 RBI Repo Rate Cut : भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक के बाद आज सुबह 10 बजे गवर्नर संजय मल्होत्रा रेपो रेट में संभावित बदलाव की घोषणा कर सकते हैं। मौजूदा आर्थिक परिदृश्य, वैश्विक अनिश्चितताएं और घरेलू मांग में स्थिरता की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए विशेषज्ञों का मानना है कि RBI इस बार दरों में नरमी का रुख अपना सकता है।

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, इस बार रेपो रेट में 0.50% यानी 50 बेसिस पॉइंट तक की कटौती हो सकती है। फिलहाल रेपो रेट 6.00% पर है, जो संभावित रूप से 5.50% तक आ सकता है। अगर यह कटौती होती है, तो इसका सीधा असर होम, ऑटो और पर्सनल लोन जैसे खुदरा कर्ज पर पड़ेगा।

 RBI Repo Rate Cut : कटौती क्यों जरूरी है?

SBI की रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि केंद्रीय बैंक कर्ज की उपलब्धता को बढ़ाने और मांग को प्रोत्साहित करने की दिशा में काम कर रहा है। वैश्विक स्तर पर ब्याज दरों में स्थिरता आ रही है, और कच्चे तेल जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भी कुछ राहत मिली है।

इन कारकों के बीच, RBI द्वारा ब्याज दरों में कटौती घरेलू निवेश और खपत को बढ़ावा देने में मदद कर सकती है। यह कदम ऐसे समय में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है जब अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी के प्रभावों से पूरी तरह बाहर निकलने की प्रक्रिया में है।

EMI पर क्या असर होगा?

50 लाख का होम लोन – 2,000 तक की राहत

उदाहरण के तौर पर, अगर किसी उपभोक्ता ने 9% ब्याज दर पर 50 लाख रुपये का होम लोन 30 साल की अवधि के लिए लिया है, तो उसकी मौजूदा मासिक किस्त (EMI) करीब 40,231 होती है। अगर RBI द्वारा 50 बेसिस पॉइंट की कटौती होती है और बैंक भी उसी अनुपात में ब्याज दर में कमी करता है, तो EMI घटकर 38,446 हो सकती है। यानी लगभग 1,800 से ₹2,000 की मासिक राहत संभव है।

20 लाख के लोन पर असर

इसी तरह, अगर किसी ने 9% की ब्याज दर पर 20 लाख रुपये का लोन 20 साल के लिए लिया है, तो मौजूदा EMI लगभग 17,995 बनती है। ब्याज दर में 0.50% की कटौती के बाद यह घटकर 17,356 रह सकती है।

क्या सभी बैंकों पर होगा असर?

हालांकि RBI की ओर से रेपो रेट में कटौती एक निर्णायक कारक होती है, लेकिन वास्तविक लाभ तब मिलेगा जब बैंक भी अपनी लेंडिंग दरें (MCLR या EBLR) कम करें। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक आमतौर पर RBI की नीतियों के अनुसार जल्दी प्रतिक्रिया देते हैं, जबकि निजी बैंकों की गति अपेक्षाकृत धीमी हो सकती है।

इसलिए यह जरूरी है कि उपभोक्ता अपने लोन एग्रीमेंट की शर्तों की समीक्षा करें और यह देखें कि उनका लोन रेपो रेट से लिंक्ड है या नहीं।

अन्य लोन कैटेगरी पर संभावित असर

रेपो रेट में कटौती का असर केवल होम लोन तक सीमित नहीं रहेगा। ऑटो लोन, पर्सनल लोन और शिक्षा ऋण पर भी इसका प्रत्यक्ष प्रभाव पड़ेगा। उपभोक्ताओं को आने वाले महीनों में इन ऋणों की ब्याज दरों में भी राहत मिल सकती है, जिससे EMI का बोझ कुछ हद तक कम होगा।

ब्याज दरों का चक्र – आगे क्या?

विश्लेषकों के अनुसार, यह कटौती नरम मौद्रिक नीति चक्र की शुरुआत हो सकती है, जो वर्ष 2025 के अंत तक चल सकती है। हालांकि RBI का रुख इस बात पर भी निर्भर करेगा कि महंगाई नियंत्रण में रहती है या नहीं, और वैश्विक भू-राजनीतिक घटनाक्रम किस दिशा में जाते हैं। 

भारतीय रिजर्व बैंक की आगामी रेपो रेट घोषणा घरेलू उपभोक्ताओं और कर्जधारकों के लिए निर्णायक साबित हो सकती है। यदि केंद्रीय बैंक 25 से 50 बेसिस पॉइंट तक की कटौती करता है और वाणिज्यिक बैंक भी ब्याज दरों में समान अनुपात में संशोधन करते हैं, तो इससे करोड़ों लोगों को उनकी मासिक किश्तों में सीधी राहत मिल सकती है।

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