ऑपरेशन सिंदूर की सफलता ने हर भारतीय को मंत्रमुग्ध कर दिया है। ऐसी खुशी है कि हर लोग अपने अपने अंदाज में मना रहे है। कोई तिरंगा यात्रा निकाल रहा है तो कोई रैली, कोई साहित्यिक गोष्ठी आयोजित कर रहा है तो कोई सांस्कृतिक संध्या ऑपरेशन सिंदूर को समर्पित कर रहा है। देश के हर गौरवान्वित करने वाले पल को अपने स्काईडाइव से सैल्यूट करने वाली प्रयागराज की अनामिका शर्मा इस बार भी पीछे नहीं रहीं, उन्होंने 5 जून को थाईलैंड के बैंकाक शहर में जब 14 हजार फीट की ऊंचाई से छंलाग लगाई तो उनके हाथ में ऑपरेशन सिंदूर का स्लोगन लिखा हुआ ध्वज था। अनामिका शर्मा के इस अनोखे अंदाज की हर कोई चर्चा और तारीफ कर रहा है।
अनामिका शर्मा मूल रूप से बिहार के जहानाबाद शहर की रहने वाली है लेकिन उनकी कर्मभूमि प्रयागराज है। मात्र 24 वर्ष की अनामिका देश की सबसे कम उम्र में स्काई डाइवर के सर्वोच्च श्रेणी ’’डी’’ का लाइसेंस प्राप्त करने वाली पहली जाबाज बेटी है। अनामिका ने मात्र 10 वर्ष की उम्र में पहली बार मध्य प्रदेश के सागर जिले में 10 हजार फीट से स्काई डाइव करके सबको अपने मंसूबे बता दिये थे लेकिन 18 वर्ष की आयु बाध्यता के चलते उसे लाइसेंस प्राप्त करने के लिये लगभग 8 वर्ष तक इंतजार करना पड़ा। आयु का बंधन खत्म हुआ तो कोरोना आ गया तो दो वर्ष और बीत गये। अनामिका कोे 2020 में यूनाइटेड स्टेट्स पैराशूट एशोसिएशन का ’ए’ श्रेणी स्काई डाइविंग का पेशेेवर लाइसेंस मिला। अनामिका ने 2021 में रूस के मास्को में दो माह का प्रशिक्षण प्राप्त किया है। इसके अतिरिक्त उसने दुबई में 2021 और 2022 में प्रशिक्षण लिया। उसके बाद शुरू हुआ स्काई डाइव का सिलसिला इतनी तेजी से आगे बढा कि हर कोई हैरान रह गया। अनामिका ने पहले ’ए’ श्रेणी का लाइसेंस मिला लेकिन जुनून ऐसा कि उसके बाद बी श्रेणी फिर सी श्रेणी का लाइसेंस मिल गया। वह स्काई डाइव का लाइसेंस प्राप्त करने वाली भारत की सबसे कम उम्र की स्काई डाइवर है। उनके पिता अजय कुमार शर्मा ने जानकारी साझा करते हुये बताया कि अनामिका अब सर्वोच्च ’’डी’’ श्रेणी की लाइसेंस धारक हो गई है। यह भारत को गौरवान्वित करने वाला कार्य है क्योंकि अभी तक देश में इतनी कम उम्र में किसी को इस श्रेणी का लाइसेंस नहीं मिला है। उल्लेखनीय है कि अनामिका को यह लाइसेंस यूनाइटेड़ स्टेट्स पैराशूट एशोसिएशन की ओर से प्राप्त हुये है। भारत में अभी स्काई डाइविंग के लिये उच्च स्तरीय सुविधाओं का अभाव है जिसके कारण अनामिका थाईलैंड के बैंकाक और रेयांग में ही अधिकांश स्काई डाइविंग करती है। अनामिका ने इसके साथ-साथ बी.टेक भी किया है।
अनामिका पिछले कई सालों से थाईलैंड के बैंकाक शहर में स्काई डाइव की ट्रेनिंग और स्काई डाइव कर रही है लेकिन वह चर्चा में जनवरी 2024 में आयी जब उसने अयोध्या स्थित राम मन्दिर के उदघाटन से पूर्व 22 दिसम्बर 2023 को 13 हजार फीट ऊंचाई से ’राम मन्दिर के चित्र और जय श्री राम ’ स्लोगन वाले ध्वज के साथ छलांग लगाई। अनामिका काफी समय तक हवा में ध्वज फहराते हुये 6 हजार फीट नीचे तक आयी। उसी समय से अनामिका देश में चर्चा में बनी रहती है। थाईलैंड में भी बड़ी संख्या में सनातन धर्म के पोषक हैं और वह लोग हनुमान जी को अपना रक्षक मानकर पूजा करते हैं। इस चर्चा पर विराम लगने से पहले ही अनामिका ने 8 जनवरी 2025 को बैंकाक शहर में ही प्रयागराज महाकुंभ के अवसर पर ’’ भव्य कुंभ दिव्य कुंभ’’ का संदेश पूरे विश्व को देने के लिये 13 हजार फीट की ऊंचाई से छलांग लगाई थी। तब आशय यही था कि लोग मानवता के इस आयोजन में आकर सहभागी बनें। अब ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद अनामिका ने अपने देशभक्ति के जज्बे को प्रदर्शित करने के लिये एक बार फिर थाईलैंड के बैंकाक शहर में 14 हजार फीट की ऊंचाई से ऑपरेशन सिंदूर का बैनर लेकर छलांग लगाई है। वायरल हो रहे वीडियो और फोटो को हर कोई अपनों को फारवर्ड, लाइक और कमेंट कर रहा है। अनामिका के इस प्रदर्शन पर उसके पिता अजय शर्मा कहते हैं कि अनामिका हर काम अलग अंदाज में करना चाहती है। बेटी ने ऑपरेशन सिंदूर के हवाई हमले, देश के सैनिकों के शौर्य पराक्रम और नारी सशक्तिकरण के इस अदभुत समन्वय को अपना समर्थन देने और सैल्यूट करने के लिये यह स्काई डाइव समर्पित की है। अनामिका इस स्काई डाइव के लिये अभी चार दिन पहले ही बैंकाक गई है। अनामिका के पिता ने बताया कि अपने छोटे से कैरियर में वह अब तक लगभग 500 से अधिक बार स्काई डाइव कर चुकी है।
अनामिका शर्मा की इस उपलब्धि में उनके परिवार की बड़ी भूमिका है। उसके पिता अजय कुमार शर्मा वायु सेना से 2008 में सेवानिवृत्त हुये है। वह प्रशिक्षित कमांड़ो और पेशेवर स्काई डाइवर है। अब तक वह लगभग 650 स्काई डाइव कर चुके है। बिटिया को प्रशिक्षित करने और साहस बढाने में उनकी बड़ी भूमिका है। अजय शर्मा ने बताया कि वह बिटिया के स्काई डाइव में प्रायः उसके साथ ही डाइव करते हैं लेकिन किसी व्यस्तता के कारण इस बार वह नहीं गये थे। वह स्वीकारते है कि भारत में अभी विश्व स्तरीय सुविधायें नहीं होने के कारण थाईलैंड को चुना है। अजय शर्मा के मित्र और देश के जाने माने स्काई डाइवर प्रशिक्षक संतोष नागराज ने भी अनामिका को प्रशिक्षित किया है। इसमें होने वाले खर्च पर अजय शर्मा ने बताया कि फिलहाल तो सब कुछ निजी व्यय पर हो रहा है लेकिन अब वह प्रदेश और केन्द्र सरकार से सहायता की गुहार लगायेंगे। दरअसल अनामिका को लाइसेंस की शर्तो के अनुसार, दक्षता बनाये रखने के दृष्टिगत, हर तीन महीने में एक बार स्काई डाइव करना अनिवार्य है। फिलहाल अनामिका का लक्ष्य अन्तर्राष्ट्रीय स्तर का कोच बन कर भारत जैसे देश में इसे लोकप्रिय बनाना है।
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