70 साल तक पानी में डूबा रहा ये मंदिर, आज भी भक्तों को सुनाई देती है बांसुरी की आवाज

खबर सार :-
भगवान कृष्ण के देश भर में कई ऐसे मंदिर हैं जो रहस्य व रोमांच से भरे हुए हैं। ऐसा ही आध्यात्म व चमत्कार से जुड़ा कर्नाटक का वेणुगोपाल स्वामी मंदिर है। जहां पर आज भी भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की बांसूरी की मधुर ध्वनि सुनाई पड़ती है। कर्नाटक के मैसूर जिले के पास कन्नमबाड़ी गांव में यह मंदिर स्थित है। 12वीं सदी में इस मंदिर का निर्माण होयसल वंश ने कराया था।

70 साल तक पानी में डूबा रहा ये मंदिर, आज भी भक्तों को सुनाई देती है बांसुरी की आवाज
खबर विस्तार : -

नई दिल्ली : देश में भगवान श्रीकृष्ण के ऐसे कई मंदिर हैं, जो अपने रहस्य और चमत्कारों के लिए जाने जाते हैं। मंदिर की धार्मिक मान्यताएं ही भक्तों को उनके आराध्य से जोड़ने का काम करती हैं। ऐसा ही आध्यात्म और चमत्कार से जुड़ा है कर्नाटक का वेणुगोपाल स्वामी मंदिर। माना जाता है कि आज भी इस मंदिर में भक्तों को भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी की मधुर आवाज सुनाई देती है।

कर्नाटक के मैसूर जिले के पास होसा कन्नमबाड़ी नाम के गांव में वेणुगोपाल स्वामी मंदिर है। इस मंदिर में भगवान श्री कृष्ण की बांसुरी बजाते हुए उनकी मूर्ति की पूजा होती है। भगवान का रंग श्याम है और सुंदर फूलों से उनका श्रृंगार होता है। इस मंदिर को लेकर भक्तों का अनुभव रहा है कि जब भी वहां कोई दर्शन के लिए जाता है, तो बांसुरी की आवाज आती है, लेकिन आवाज कहां से आती है, ये बात आज भी रहस्य बनी हुई है।

12वीं सदी में होयसल वंश ने कराया था मंदिर का निर्माण 

वेणुगोपाल स्वामी मंदिर इसलिए भी खास है, क्योंकि यह 70 सालों तक पानी में डूबा रहा, लेकिन फिर भी मंदिर को खास नुकसान नहीं हुआ। मंदिर सफेद ग्रेनाइट पत्थरों से बना है और मंदिर के स्तंभों और दीवारों पर पारंपरिक होयसल की वास्तुकला देखने को मिलती है। मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में होयसल वंश द्वारा किया गया था।

मंदिर के अंदर कई छोटे-छोटे मंदिर और ऐतिहासिक विरासत को दिखाती रॉयल रथ देखने को मिल जाएगी। पूरे मंदिर के निर्माण में सफेद मार्बल का इस्तेमाल किया गया है। फर्श से लेकर नक्काशी तक सब कुछ सफेद मार्बल पर की गई है।

कृष्ण राजा वाडियार चतुर्थ ने मूल मंदिर किया विस्थापित 

साल 1909 में सर एम. विश्वेश्वरैया द्वारा कृष्णा राजा सागर बांध परियोजना की शुरुआत हुई और तब मूल मंदिर कन्नमबाड़ी में था। बांध परियोजना के पूरा होते-होते पूरा गांव और मंदिर पानी में डूब गया था। तब राजा कृष्ण राजा वाडियार चतुर्थ ने गांव को दोबारा बसाने की कोशिश की और गांव और मूल मंदिर को दूसरी जगह विस्थापित किया गया। इस जगह को होसा कन्नमबाड़ी का नाम दिया गया। डूबने के बाद भी मंदिर को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था। मंदिर को विस्थापित करने का काम खोडे फाउंडेशन ने किया था।
 

अन्य प्रमुख खबरें