नई दिल्ली: अग्नि पुराण में सूर्य देव को साक्षात ब्रह्म माना गया है, जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष प्रदान करने वाले हैं, साथ ही सूर्य देव को इस चराचर जगत का पान करने वाला भी माना जाता है। भगवान भास्कर का दिन रविवार को माना जाता है। इस दिन विशेष पूजा-विधि से मनोवांछित लाभ प्राप्त होता है। आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 29 जून को है। इस दिन सूर्य मिथुन राशि रहेंगे और चंद्रमा कर्क से सिंह राशि में प्रवेश करेगा। दृक पंचांग के अनुसार 29 जून को चतुर्थी तिथि सुबह 9: 14 बजे तक रहेगी, फिर उसके बाद पंचमी तिथि शुरू हो जाएगी। इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11: 57 बजे से 12: 53 बजे तक रहेगा। वहीं दूसरी तरफ राहु काल का समय 5:38 बजे से 7: 23 बजे तक रहेगा।
अग्नि पुराण और स्कंद पुराण में भगवान भाष्कर की महिमा का वर्णन किया गया है, जिसके अनुसार, रविवार के दिन व्रत रखने से सुख, समृद्धि, आरोग्य और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत को किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के पहले रविवार से शुरू करना शुभकारी माना जाता है। जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, यह व्रत विशेष रूप से उन लोगों के लिए फलदायी होता है। यह व्रत शुरू करने के लिए साधक को रविवार को सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद मंदिर या पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। एक चौकी पर कपड़ा बिछाकर पूजन सामग्री रखें, फिर सूर्य देव की पूजा करें। इसके बाद व्रत कथा सुनें और मंत्रों का जाप करें। इसके बाद सूर्य देव को तांबे के बर्तन में जल भरकर उसमें लाल फूल, अक्षत और रोली डालकर सूर्य देव को अर्घ्य देने से विशेष लाभ मिलता है।
इसके अलावा रविवार के दिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने, सूर्य देव के मंत्र ‘ऊं सूर्याय नमः’ या ‘ऊं घृणि सूर्याय नमः’ का जप करने से भी विशेष लाभ मिलता है। इस दिन गुड़ और तांबे के दान का भी विशेष महत्व है। इन उपायों को करने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि और सफलता मिलती है। एक समय भोजन करें, जिसमें नमक का सेवन न करें। गरीबों को दान करें। रविवार के दिन काले या नीले रंग के कपड़े पहनने से बचना चाहिए। इस दिन मांस-मदिरा का सेवन, झूठ बोलना, किसी का अपमान करना, बाल या दाढ़ी कटवाना, तेल मालिश करना और तांबे के बर्तन बेचना भी वर्जित माना गया है। व्रत का उद्यापन 12 व्रतों के बाद किया जाता है।
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