भारतीय नौसेना बुधवार को प्राचीन सिले हुए जहाज को अपने बेड़े में शामिल करेगी और इसका नामकरण भी करेगी। कर्नाटक के कारवार में होने वाले समारोह में औपचारिक रूप से जहाज को भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा।
सिला हुआ जहाज 5वीं शताब्दी के जहाज का नया रूप है, जो अजंता की गुफाओं की एक पेंटिंग से प्रेरित है। समारोह की अध्यक्षता केंद्रीय संस्कृति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत मुख्य अतिथि के रूप में करेंगे।
टैंकाई विधि में नाखूनों का प्रयोग न करते हुए जहाजों का निर्माण किया जाता है। जिसमें लकड़ी के तख्तों को सिला जाता है। ये बहुत ही प्राचीन तकनीकि है। इस विधि से बनाए गए जहाज में ज्यादा लचीलापन और स्थायित्व रहता है। जिसकी वजह से जहाज को शोल्स और सैंडबार से नुकसान न के बराबर हो जाता है।